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Ajmer Dargah controversy: क्या हिंदू मंदिर के अवशेष दरगाह में छिपे हैं?

by PP Singh
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Ajmer Dargah controversy

Ajmer Dargah controversy:  वो किताब, जिसमें छुपे हैं अजमेर शरीफ दरगाह में हिंदू मंदिर के रहस्य

Ajmer Dargah controversy का मामला इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। राजस्थान के अजमेर में स्थित प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर हिंदू मंदिर होने के दावे के बाद बहस तेज हो गई है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अदालत में याचिका दाखिल कर यह दावा किया है। आइए जानते हैं इस दावे का आधार क्या है और इस विवाद की पृष्ठभूमि।

हर विलास शारदा की किताब बनी आधार

इस विवाद का मुख्य आधार हर विलास शारदा की किताब ‘Ajmer Historical and Descriptive’ है। यह किताब 168 पन्नों की है, जिसमें अजमेर दरगाह के इतिहास का एक अध्याय शामिल है। याचिका में दावा किया गया है कि किताब के पेज नंबर 93, 94, 96, और 97 में दरगाह के हिंदू मंदिर होने के स्पष्ट प्रमाण दर्ज हैं।

पेज नंबर 93:
यहां बताया गया है कि दरगाह के बुलंद दरवाजे के उत्तरी हिस्से की तीसरी मंजिल पर एक छतरी बनी है। यह छतरी किसी हिंदू इमारत का हिस्सा प्रतीत होती है। इसके नीचे नक्काशी है, जिसे पुताई से ढक दिया गया है।

पेज नंबर 94:
इस पेज पर लिखा है कि छतरी में लाल बलुआ पत्थर लगा है, जो जैन मंदिर का हिस्सा हो सकता है।

पेज नंबर 96:
यह पेज और भी चौंकाने वाला दावा करता है। इसमें लिखा गया है कि दरगाह के आंगन के नीचे हिंदू मंदिर के तहखाने मौजूद हैं। ऐसा लगता है कि इस्लामी शासकों ने पुराने हिंदू मंदिर को तोड़कर दरगाह का निर्माण किया।

पेज नंबर 97:
इस पेज के मुताबिक, तहखाने में हिंदू परंपरा के अनुसार भगवान महादेव की छवि है। पहले, एक ब्राह्मण परिवार वहां रोजाना चंदन जलाया करता था। अब इसे दरगाह के घड़ियाली, यानी घंटी बजाने वाले, के रूप में जाना जाता है।

कोर्ट में मामला और ASI को नोटिस

इस मामले में विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका को अजमेर के सिविल न्यायालय (पश्चिम) ने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने ASI (Archaeological Survey of India), दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक मामलात विभाग को नोटिस भेजा है। अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी, जिसमें दोनों पक्षों को सुना जाएगा।

क्या कहता है हिंदू सेना का दावा?

हिंदू सेना का दावा है कि दरगाह का निर्माण एक पुराने हिंदू मंदिर को तोड़कर किया गया है। इसे साबित करने के लिए उन्होंने किताब के संदर्भों का सहारा लिया है। उनका कहना है कि तहखाने में मंदिर के अवशेष आज भी मौजूद हैं।

विवाद पर देशभर में चर्चा

यह मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच इस मुद्दे को लेकर बहस तेज हो गई है। कई लोग इस दावे को ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर परखने की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक भावनाओं को भड़काने का प्रयास मानते हैं।

अब अजमेर दरगाह (Ajmer Dargah) में शिव मंदिर होने का दावा, जानिए याचिका का आधार और कोर्ट में उठे सवाल

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