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ASI की पत्नी का दर्द: “पति ने सीएम को बचाने के लिए जान दे दी
जयपुर में बुधवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के काफिले की गाड़ियों से एक टैक्सी की टक्कर हो गई। हादसे को रोकने की कोशिश में ASI Surendra Singh (52) की मौके पर ही मौत हो गई। गुरुवार को उनके पैतृक गांव काठ का माजरा (नीमराना, कोटपूतली-बहरोड़) में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
इससे पहले, जयपुर पुलिस लाइन में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। वहीं, उनकी पत्नी सविता सिंह ने भावुक होकर सवाल उठाए।
“अगर मेरे पति साइड हो जाते तो क्या करते?”
सविता सिंह ने कहा, “मेरे पति मुख्यमंत्री को बचाने के लिए शहीद हो गए। क्या मुख्यमंत्री हमारे पास आए? उन्हें यह मानना चाहिए कि यह उनकी वजह से हुआ। अगर मेरे पति बीच में खड़े नहीं होते और साइड हो जाते, तो क्या करते?”
उन्होंने सरकार और प्रशासन से न्याय की मांग करते हुए कहा, “हमें सब कुछ लिखित में चाहिए। अब मेरे पति तो चले गए, लेकिन मैं अपने बच्चों को लेकर कहां जाऊं?”
महिला पुलिस अफसर पर नाराजगी
मीडिया से बात करते हुए, जब एक महिला पुलिस अधिकारी ने सविता सिंह को रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने गुस्से में कहा, “मुझे बोलने दीजिए। आप जानते भी हैं कि मैं किस हाल में हूं?”
परिवार को आश्वासन, पर सवाल बाकी
पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने परिवार को आश्वासन दिया कि उनकी सभी मांगें पूरी की जाएंगी। लेकिन सविता सिंह का कहना है कि आश्वासन काफी नहीं है; उन्हें ठोस कार्रवाई चाहिए।
पारिवारिक पृष्ठभूमि: सेना से पुलिस तक का सफर
सुरेंद्र सिंह का परिवार शुरू से देशसेवा से जुड़ा रहा। उनके पिता रोहिताश इंडियन आर्मी में कैप्टन थे। सुरेंद्र सिंह ने 1992 में राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल के रूप में करियर शुरू किया और 2018 में प्रमोशन पाकर ASI बने।
सुरेंद्र सिंह जयपुर के करणी विहार में पत्नी सविता सिंह, बेटे आकाश और बेटी के साथ रहते थे। बेटा MBBS की इंटर्नशिप कर रहा है, जबकि बेटी UPSC की तैयारी में जुटी है।
डॉग लवर और संवेदनशील इंसान
सुरेंद्र सिंह न सिर्फ कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे, बल्कि संवेदनशील इंसान भी थे। वे पिछले 25 सालों से street dogs को खाना खिलाने का काम कर रहे थे। इसमें उनकी पत्नी सविता सिंह भी साथ देती थीं।
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गांव और परिवार से गहरा जुड़ाव
हाल ही में, 27 नवंबर को सुरेंद्र सिंह अपनी पत्नी के साथ गांव आए थे, जब उनके पड़ोसी कर्मवीर चौधरी की मां का निधन हुआ। कर्मवीर ने बताया कि सुरेंद्र सिंह हमेशा से हंसमुख और शांत स्वभाव के थे। उन्हें गाड़ियों का शौक था और वे गांव के बच्चों के साथ खेलते थे।
राजकीय सम्मान और तिरंगा यात्रा
गुरुवार को दोपहर 2 बजे उनका पार्थिव शरीर जयपुर से उनके गांव लाया गया। गांव के हीरो चौक से घर तक करीब ढाई किलोमीटर की तिरंगा यात्रा निकाली गई। शाम को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें बेटे आकाश ने मुखाग्नि दी।
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