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Atul Subhash Suicide Case: पत्नी और सास गिरफ्तार, दोषी पाए जाने पर कितनी सजा होगी?
Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु में AI इंजीनियर Atul Subhash के सुसाइड केस ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। इस मामले में बेंगलुरु पुलिस ने अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को गिरफ्तार कर लिया है। कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। आइए जानते हैं कि आरोप क्या हैं और दोषी साबित होने पर इन्हें कितनी सजा हो सकती है।
कैसे हुआ केस दर्ज?
Atul Subhash, जो बेंगलुरु में AI इंजीनियर थे, ने 9 दिसंबर को सुसाइड कर लिया। अपनी मौत से पहले उन्होंने लगभग डेढ़ घंटे का वीडियो और 24 पन्नों का suicide note छोड़ा। इसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए।
अतुल ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी निकिता और ससुराल वाले उनसे लगातार झूठे केस के जरिए पैसे वसूलते थे। उन्होंने बताया कि शादी के बाद से ही निकिता और उसका परिवार किसी न किसी बहाने से पैसे मांगता रहा।
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अतुल सुभाष के आरोप – Atul Subhash Suicide Case
- शादी और अलगाव: अतुल और निकिता की शादी 2019 में हुई थी। लेकिन शादी के एक साल बाद से ही दोनों अलग रहने लगे।
- झूठे केस: निकिता और उसके परिवार ने अतुल पर घरेलू हिंसा, हत्या की कोशिश, दहेज प्रताड़ना जैसे 9 केस दर्ज करवा दिए।
- पैसे की मांग: शुरुआत में निकिता ने सेटलमेंट के लिए 1 करोड़ रुपये मांगे। बाद में यह रकम 3 करोड़ रुपये कर दी।
- मासिक गुजारा भत्ता: निकिता ने अपने बेटे की ओर से हर महीने 2 लाख रुपये का गुजारा भत्ता मांगा।
गिरफ्तारी कैसे हुई?
पुलिस ने निकिता को गुरुग्राम से और उसकी मां निशा व भाई अनुराग को प्रयागराज से गिरफ्तार किया। तीनों के खिलाफ IPC Section 108 और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
क्या है IPC की धारा 108?
IPC Section 108 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने पर केस दर्ज होता है। अगर कोई व्यक्ति किसी को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करता है, तो दोषी पाए जाने पर उसे 10 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है।
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क्या सजा हो सकती है?
अतुल के सुसाइड नोट और वीडियो के आधार पर निकिता और उसके परिवार के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। अगर कोर्ट में यह साबित हो गया कि इन लोगों ने अतुल को आत्महत्या के लिए उकसाया, तो इन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है।
उकसाने के सबूत कैसे साबित होंगे?
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स के मुताबिक, आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला तभी साबित होगा, जब ठोस सबूत पेश किए जाएं। सिर्फ प्रताड़ना के आरोप काफी नहीं हैं।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि आत्महत्या के लिए उकसाने का इरादा और आरोपित के कार्यों का सीधा संबंध साबित होना जरूरी है। बिना ठोस सबूतों के कोई भी दोषी करार नहीं दिया जा सकता।
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