Home दंत कथाएं Maa Tripura Sundari Banswara : यहां दिन में तीन बार बदलता है मां का स्वरूप, तंत्र साधना के लिए यहां आते हैं बड़े नेता

Maa Tripura Sundari Banswara : यहां दिन में तीन बार बदलता है मां का स्वरूप, तंत्र साधना के लिए यहां आते हैं बड़े नेता

by Local Patrakar
443 views
A+A-
Reset
Maa Tripura Sundari Banswara : यहां दिन में तीन बार बदलता है मां का स्वरूप, तंत्र साधना के लिए यहां आते हैं बड़े नेता

Maa Tripura Sundari Banswara :

राजस्थान में मां दुर्ग का एक ऐसा मंदिर है, जहां उनकी एक ही मूर्ति में दिन में तीन बार अलग अलग स्वरूप के दर्शन किए जा सकते हैं। माता का यह चमत्कारी मंदिर बांसवाड़ा में स्थित है। जिसे त्रिपुरा सुंदरी के नाम से जाना जाता है। सिद्ध माता त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि मंदिर में मांगी हर मनोकामना देवी पूर्ण करती हैं, यही वजह है कि आमजन से लेकर नेता तक मां के दरबार में पहुंचकर हाजिरी लगाते हैं।

ऐसे पड़ा नाम ‘त्रिपुरा सुंदरी’

स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रात:कालीन बेला में कुमारिका, मध्यान्ह में यौवना और सायंकालीन वेला में प्रौढ़ रूप में मां के दर्शन होती है। इसी कारण माता को त्रिपुरा सुंदरी कहा जाता है। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि मंदिर के आस-पास पहले कभी तीन दुर्ग थे। शक्तिपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी नामक इन तीन पुरियों में स्थित होने के कारण देवी का नाम त्रिपुरा सुंदरी पड़ा।

Maa Tripura Sundari Banswara : यहां दिन में तीन बार बदलता है मां का स्वरूप, तंत्र साधना के लिए यहां आते हैं बड़े नेता

 

banner

यहां हैं नौ स्वारूप वाली अठारह भुजाओं की मूर्ति

मां भगवती त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति अष्टदश भुजाओं यानी अठारह भुजाओं वाली है। मूर्ति में माता दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिकृतियां अंकित हैं। माता सिंह, मयूर और कमल आसन पर विराजमान हैं। तलवाड़ा गांव में बांसवाड़ा जिले से करीब 18 किलोमीटर दूर अरावली पर्वतामाला के बीच यहाँ पर मां त्रिपुरा सुंदरी का एक भव्य मंदिर स्थित है। मुख्य मंदिर के द्वार के किवाड़ चांदी के बने हैं। नौ स्वारूप वाली अठारह भुजाओं की मूर्ति तंत्र साधना के लिए भी सबसे अनुकूल मानी जाती है।

राजा मालवा ने शीश काटकर किया था भेंट

माना जाता है कि यह स्थान कनिष्क के पूर्व-काल से ही प्रतिष्ठित रहा होगा। वहीं कुछ विद्वान देवी मां की शक्तिपीठ का अस्तित्व यहां तीसरी सदी से पूर्व मानते हैं। इन्हें पहले यहां ‘गढ़पोली’ नामक एक ऐतिहासिक नगर था। ‘गढपोली’ का अर्थ है-दुर्गापुर। ऐसा माना जाता है कि गुजरात, मालवा और मारवाड़ के शासक त्रिपुरा सुंदरी के उपासक थे। मां त्रिपुरा सुंदरी गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की इष्ट देवी थी। वो मां की पूजा के बाद ही युद्ध पर निकलते थे। यहां तक कि मालवा नरेश जगदेव परमार ने तो मां के चरणों में अपना शीश ही काट कर अर्पित कर दिया था। उसी समय राजा सिद्धराज की प्रार्थना पर मां ने जगदेव को फिर से जीवित कर दिया।

banner

You may also like

Add Comment

लोकल पत्रकार खबरों से कुछ अलग हटकर दिखाने की कोशिश है कुछ ऐसा जिसमें ना केवल खबर हो बल्कि कुछ ऐसा जिसमें आपके भी विचार हो हमारी कोशिश को सफल बनाने के लिए बने रहिए लोकल पत्रकार के साथ 🎤🎥

Edtior's Picks

Latest Articles

© Local Patrakar broadcast media . All Rights Reserved.