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18वीं लोकसभा को मिला नया स्पीकर, जानें विपक्ष ने कब-कब की स्पीकर बनाने में दखल अंदाजी
18वीं लोकसभा के लिए आखिरकार अध्यक्ष का चुनाव कर लिया गया है। कोटा – बूंदी से बीजेपी के सांसद ओम बिरला को एक बार फिर लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन की खींचतान दो दिनों से जारी थी। एनडीए ने जहां अपना उम्मीदवार ओम बिरला को बनाया था, वहीं इंडिया गठबंधन ने अपना उम्मीदवार के. सुरेश को बनाया था। हालांकि परंपरा ऐसी रही है कि सदन में जिसका बहुमत ज्यादा होता है। उसी का लोकसभा स्पीकर बनाया जाता है। लेकिन इस बार इंडिया गठबंधन अपने लोकसभा में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर उनका बनाने के लिए सत्ता पक्ष से अड़ गई थी। लेकिन इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब विपक्ष अपना स्पीकर बनाने और डिप्टी स्पीकर बनाने पर सत्ता पक्ष से खींचतान में लग गया हो। इससे पहले भी तीन बार ऐसा मौका आ चुका है।
1952 में ऐसा पहली बार हुआ था
देश की पहली सन्सद के लिए 15 मई 1952 को पहली लोकसभा के लिए अध्यक्ष का चुनाव हुआ था। इस चुनाव में सत्ता पक्ष के जीवी मावलंकर उमीदवार थे। उनके सामने विपक्ष ने शंकर शांतराम मोरे को उतार दिया था। मावलंकर के पक्ष में 394 वोट, जबकि 55 वोट उनके खिलाफ पड़े थे। इस तरह मावलंकर देश के पहले लोकसभा स्पीकर चुने गए थे।
लोकसभा अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा, फिर बने राष्ट्रपति
हमारे देश के लोकतंत्र में एक समय ऐसा भी आया, जब लोकसभा स्पीकर ने खुद के ही पद से इस्तीफा दे दिया। नीलम संजीव रेड्डी ऐसे एकमात्र अध्यक्ष रहे। 26 मार्च, 1977 को नीलम संजीव रेड्डी को सर्वसम्मति से लोकसभा का स्पीकर चुन लिया गया था।
लेकिन 13 जुलाई, 1977 को उन्होने यह पद छोड़ दिया । नीलम संजीव रेड्डी ने स्पीकर बनने के बाद अपने दल से औपचारिक रूप से त्यागपत्र दे दिया था। नीलम संजीव रेड्डी का यह मानना था कि अध्यक्ष पूरे सदन का होता है। वह किसी एक दल का नहीं होना चाहिए। ये मानते हुए उन्होंने राजनीतिक पार्टी छोड़ दी। दिलचस्प बात यह रही कि नीलम संजीव रेड्डी ऐसे एकमात्र लोकसभा स्पीकर रहे हैं जिन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुना गया ।
विपक्ष से भी बने लोकसभा स्पीकर
1996 में 11वीं लोकसभा का एक मौका वो भी आया जब विपक्ष के एक सांसद को सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए चुन लिया गया हो। पूर्णो अगितोक संगमा वो सांसद थे जो विपक्षी पार्टी से होने के बावजूद भी स्पीकर बनाए गए थे।
हालांकि 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में संगमा को एआईएडीएमके और बीजू जनता दल ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था और बाद में भाजपा ने भी इसका समर्थन किया था। लेकिन 22 जुलाई 2012 को प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता और संगमा हार गए थे।
देश को मिली पहली लोकसभा स्पीकर
2009 देश को पहले महिला लोकसभा स्पीकर मिली। कांग्रेस की ओर से सासाराम से सांसद मीरा कुमार को लोकसभा स्पीकर बनाया। मीरा कुमार 4 जून 2009 से 11 जून 2014 तक स्पीकर रहीं। उनके ठीक बाद भाजपा सरकार बनी तो भाजपा ने भी देश को दूसरी महिला स्पीकर दी। भाजपा ने सुमित्रा महाजन को लोकसभा स्पीकर बनाया।
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