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छात्रसंघ चुनाव को लेकर बड़ी ख़बर, अगस्त में हो सकते हैं चुनाव
करीब दो सालों से चुनाव का इंतजार कर रहे छात्रसंघों के लिए अच्छी ख़बर आई है। उम्मीद लगाई जा रही है कि अगले महीने यानि की अगस्त में छात्रसंघ चुनाव हो सकते हैं। हालांकि सरकार या किसी मंत्री की तरफ से ऐसा कोई अधिकारिक फरमान या बयान सामने नहीं आया है। लेकिन शिक्षा विभाग की तरफ से जारी कैलेंडर में छात्रसंघ चुनाव का जिक्र जरूर किया गया है। इस लेटर के सामने आने के बाद छात्रसंघों में एक उम्मीद जगी है कि शायद प्रदेश में बीजेपी सरकार छात्रसंघ चुनाव को लेकर अपना मन बना रही है।
शिक्षा विभाग के कैलेंडर में जिक्र
राजस्थान में शिक्षा विभाग की तरफ से समान मॉडल अकदामिक कैलेंडर और अवकाश कैलेंडर 2024-25 जारी हुआ है। जिसमें छात्रसंघ चुनाव और छात्रसंघ कार्यालयों के उद्घाटन का जिक्र किया गया है। कैलेंडर के 7वें कॉलम में लिखा हुआ है.. छात्रसंघ चुनाव और छात्रसंघ कार्यालयों का उद्घाटन। हालांकि इसकी डेट डिक्लेयर नहीं की गई है। डेट वाले कॉलम में लिखा है कि इसकी तारीखों का ऐलान सरकार की तरफ से किया जाएगा। आपको बता दें कि छात्रसंघ चुनाव को लेकर पहले ही एक कमेटी गठित की गई थी। कैलेंडर में छात्रसंघ चुनावों के जिक्र के बाद अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव हो सकते हैं।
सियासतदानों ने भी उठाई मांग
छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर प्रदेश की सियासत भी चरम पर हुई। हालही में जयपुर में छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों पर पुलिस ने लाठिया भांजी थी। जिसकी कांग्रेस के नेताओं ने निंदा की। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने तो X पर पोस्ट करते हुए कहा कि युवाओं की आवाज दबाना गलत है। गहलोत ही नहीं बल्कि टीकाराम जूली से लेकर गोविंद डोटासरा और प्रतापसिंह खाचरियावास और हनुमान बेनीवाल भी छात्रसंघ चुनाव का समर्थन कर चुके हैं। यहां तक की रविंद्र सिंह भाटी ने तो विधानसभा में छात्रसंघ चुनाव करवाने का मुद्दा उठाया था।
छात्रसंघ चुनावों का इतिहास
प्रदेश में पिछली गहलोत सरकार ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाई गई थी। 2023 में विधानसभा चुनाव का हवाला दिया गया था। उससे पहले 2022 में छात्रसंघ चुनाव हुए थे। तो 2020-21 में कोरोनाकाल की वजह से चुनाव नहीं हो पाए थे। अगर उससे भी पहले की बात करें तो साल 2005 के छात्रसंघ चुनाव के दौरान जमकर बवाल हुआ था। जगह-जगह प्रदर्शन भी हुए थे। हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद साल 2006 में छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगा दी गई थी। करीब 4 साल बाद फिर छात्रसंघ के चुनाव हुए थे।
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