लाल किले की ‘कुर्सी’ पर सियासी संग्राम: राहुल की पंक्ति पर मचा बवाल
- ‘कुर्सी’ की लड़ाई संसद से लालकिले तक आई
- राहुल की ‘कुर्सी’ पर सियासत जारी !
- 15 अगस्त को ‘पंक्ति’ वाली राजनीति
- बैठने की व्यवस्था, विपक्ष भड़का !
LOP….यानि की लीडर ऑफ OPPOSITION…..एक ऐसी व्यवस्था जिसमें विपक्ष के नेता को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है….लोकतंत्र में इस पद की अहमियत काफी ज्यादा होती है… आज के कार्यक्रम में अधिकतर कैबिनेट मंत्री आगे की ROW में बैठे थे… लेकिन राहुल गांधी के लिए पीछे की कुर्सी रिजर्व की गई थी….जिसपर कांग्रेस भड़क गई…।।
आजादी के बाद से सारी सियासत ही कुर्सी के लिए होती रही है…लेकिन आजादी की 78वीं सालगिरह पर कुर्सी पर ही सियासत शुरू हो गई….और इसके केंद्र में हैं लीडर ऑफ ओपोजिशन यानी नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी… और जिस कुर्सी के लिए सियासी संग्राम छिड़ा है, वो संसद भवन के अंदर नहीं…बल्कि लाल किला परिसर में राहुल के लिए लगाई गई थी…बीते कुछ साल से तो पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर टकराव होता रहा है…सदन में चर्चा के दौरान कई बार तीखी बहस भी होती है…लेकिन इस बार लाल किला परिसर में कुर्सी को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है…।।
छोटे मन के लोगों से बड़ी चीज़ों की उम्मीद करना बेमानी है
नेता प्रतिपक्ष @RahulGandhi को स्वतंत्रता दिवस के समारोह में पाँचवीं लाइन में बिठा कर नरेंद्र मोदी ने अपनी कुंठा ज़रूर दिखाई, लेकिन इससे राहुल गांधी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है
नेता प्रतिपक्ष की रैंक कैबिनेट मंत्री की… pic.twitter.com/hS8B4ybApN
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) August 15, 2024
दरअसल 15 अगस्त का कार्यक्रम था….गृह मंत्रालय के पास SEATING ARRANGEMENT की जिम्मेदारी थी…देश का तकरीबन हर VIP लाल किले पर मौजूद था…सभी के लिए खास व्यवस्था थी..मगर यहां राहुल पीछे की पंक्ति में बैठे दिखाई दिए…बस इसी तस्वीर पर अब सियासत शुरू हो गई है…LEADER OF OPPOSITION के लिए अब कांग्रेस पार्टी नई LINE OF POLITICS खींच रही है…पवन खेड़ा ने इस अरेंजमेंट पर सवाल उठाये…और राहुल को पीछे की पंक्ति में बैठाए जाने को अग्निवीर पर उनके आक्रामक स्टैंड से जोड़ दिया…राहुल गांधी की कुर्सी की पंक्ति को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रीया श्रीनेत भी आक्रमक नज़र आ रही हैं.. और गृह मंत्रालय की सफाई के बावज़ूद केंद्र सरकार पर तंज कस रही हैं… जब देश आजाद हुआ…उस वक्त ना तो पक्ष था ना विपक्ष…लेकिन अब 77 साल के बाद शायद ऐसा पहली बार है कि नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने सामने है..।।
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