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भजनलाल सरकार ने केंद्र के खिलाफ वापिस लिया केस, गजेंद्र सिंह शेखावत से जुड़ा था मामला

by PP Singh
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भजनलाल सरकार

भजनलाल सरकार ने केंद्र के खिलाफ वापिस लिया केस, गजेंद्र सिंह शेखावत से जुड़ा था मामला

राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनते ही एक बड़ा फैसला लिया गया है। भजनलाल सरकार ने केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत फोन टेपिंग मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ दायर मुकदमा वापस ले लिया है। आपको बता दें कि ये केस पिछली गहलोत सरकार के समय दायर किया गया था। इसे एक अहम कानूनी कदम माना जा रहा है। केंद्रीय मंत्री के फोन टेपिंग मामले में राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि ‘इस मुकदमे में कोई मेरिट नहीं है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।’

इन धाराओं में थे आरोप

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जो मूल केस था, वो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत पिछली कांग्रेस सरकार ने दायर किया था। इसमें घोषणा की गई थी कि साल 2021 में 25 मार्च को जो एफआईआर संख्या 50/2021, पी.एस. क्राइम ब्रांच, नई दिल्ली द्वारा दर्ज की गई थी, राजस्थान को केवल उसी से संबंधित मामलों की जांच और अभियोजन का अधिकार दिया था। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 409/120बी और भारतीय तार अधिनियम, 1885 की धारा 26, आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 72 और 72ए के तहत आरोप शामिल थे।

कांग्रेस ने कहा, दिल्ली का क्षेत्राधिकार नहीं

इस मामले में प्रदेश की पिछली सरकार ने दिल्ली पुलिस के पास क्षेत्राधिकार ना होने का तर्क दिया था। तब की सरकार ने ये भी कहा था कि इस केस में सिर्फ और सिर्फ राजस्थान की पुलिस को ही FIR की जाँच करनी चाहिए। साथ ही पिछली सरकार ने दिल्ली में कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग भी की थी। अब इसी साल बीती फरवरी की 5 तारीख़ को सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश में, प्रदेश ने यह तय करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था कि क्या वे मूल मुकदमे को जारी रखना चाहते हैं। इस पर राजस्थान राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने विचार-विमर्श के बाद राज्य की भजनलाल सरकार को सलाह दी कि उन्होंने मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया है।

बताते चलें कि इस आवेदन में सुप्रीम कोर्ट से ओरिजिनल केस को वापस लेने की अनुमति मांगी गई है। शिव मंगल शर्मा के अनुसार, ‘याचिकाओं, रिकॉर्डों और मामले की समग्र तथ्यों और परिस्थितियों की जांच के बाद, यह मुकदमा नहीं टिकता और इसे आगे बढ़ाने से कोई प्रभावी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। इसलिए, न्याय के हित में और माननीय न्यायालय का कीमती समय बचाने के लिए, राज्य सरकार ने मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया है।’

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