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सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की साजिश, पत्थरबाजों का इलाज क्या ?
राजस्थान से लेकर यूपी तक सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की साजिश हो रही है। धार्मिक जुलूस, शोभायात्रा को टारगेट किया जा रहा है। जुलूस पर पत्थबाजी की लगातार घटनाएं हो रही है। ये कोई संयोग नहीं..बड़ा प्रयोग नजर आ रहा है। यूपी के लखनऊ, फर्रुखाबाद और महोबा में पत्थरबाजी से माहौल खराब करने की साजिश हुई। तो वहीं सूरत, मांड्या में भी पत्थरबाजी कर दंगा भड़काने की कोशिश की गई। एक के बाद एक पत्थरबाजी की ये घटनाए…इशारा कर रही है कि एक बड़ी साजिश है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किसके इशारे पर माहौल बिगाड़ा जा रहा है। किसके ऑर्डर पर धार्मिक जुलूस को टारगे किया जा रहा है।
राजस्थान में 2 जगहों पर पत्थरबाजी
14 सितंबर, 2024 को राजस्थान में शाहपुरा के जहाजपुर इलाके में जलझूलनी एकादशी पर धार्मिक यात्रा जैसे ही जामा मस्जिद से गुजरी। जामा मस्जिद की छत से ये नफरती पत्थर बरसने लगे। शोभा यात्रा में शामिल लोग अपनी जान बचाकर भागने को मजूबर हो गए। श्रद्धालु ही नहीं… पुलिसवाले भी घायल हो गए। इसके बाद शहर हिंसा का शिकार बना…गुस्से की आग में जला…प्रशासन का बुलडोजर भी चला…।
धार्मिक यात्रा पत्थरबाजी के विरोध में जहाजपुर के बाजार बंद कर दिए गए। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि जबतक असली गुनहगारों को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता। शोभा यात्रा किले तक नहीं जाएगी। जिस जामा मस्जिद से नफरती पत्थर फेंके गए। उसे प्रशासन ने सील कर दिया । मस्जिद से कहा गया कि 24 घंटे के अंदर संपत्ति को लेकर जवाब दाखिल करे ।
राजस्थान और यूपी में पत्थरबाज
नफरत के पत्थर सिर्फ जहाजपुर में ही नहीं चले। बल्कि भीलवाड़ा का उपनगर सांगानेर भी इसका शिकार बना। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान गणेश पंडाल में पत्थरबाजी हुई… तो लोग आक्रोशित हो गए… प्रशासन से कार्रवाई की मांग की गई । वहीं यूपी के फर्रुखाबाद में भी ऐसी ही घटना देखने को मिली। गणपति मूर्ति स्थापना को लेकर दो पक्ष लाठी-डंडों के साथ एक दूसरे के सामने आ गए… ईंट-पत्थर भी चले ।
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नफरती पत्थरबाजों के निशाने पर धार्मिक यात्रा
महोबा में बप्पा की विदाई के दौरान…पत्थरबाजी की गई। इसके बाद हिंदू संगठनों ने सड़क पर प्रदर्शन किया। थाने का घेराव कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की गई। यूपी से राजस्थान तक नफरती पत्थरबाजों की बहार आई हुई है। 9 सितंबर, 2024 को हाल ही में गुजरात के सूरत में गणेश पंडाल पर पथराव किया गया था। जिस जगह पर बवाल हुआ था।
वहां पर बुलडोजर एक्शन भी हुआ।। वहीं लखनऊ में एक मकान के पूजा स्थल पर पत्थर फेंके गए। सवाल ये है कि ये नफरती पत्थर कबतक फेंके जाएंगे। आखिर ये जिहादी पत्थर’ कितने कट्टर हैं? और इनका इलाज क्या है। क्या पत्थरबाजों पर बुलडोजर कार्रवाई ही इनका आखिरी इलाज है। अगर ऐसा है तो हर बार बुलडोजर कार्रवाई से पत्थरबाजी की घटनाएं क्यों नहीं रुक रही।
ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार।
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