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Dungarpur Hospital: परिजनों ने गेट पर कराई महिला की डिलीवरी
डूंगरपुर जिले के पीठ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में नर्सिंग स्टाफ की संवेदनहीनता का चौंकाने वाला मामला सामने आया। सोमवार सुबह 8:30 बजे, अस्पताल के गेट पर एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। वहां मौजूद nursing staff ने महिला को देखने की बजाय यह कहकर टाल दिया कि अस्पताल खुलने में अभी आधा घंटा बाकी है। इस बीच, महिला के साथ आए परिजनों ने गेट पर ही उसकी डिलीवरी कराई।
महिला को इलाज न मिलने पर परिजन भड़के
महिला खून से लथपथ अस्पताल परिसर में पड़ी रही, लेकिन किसी स्वास्थ्यकर्मी ने उसकी सुध नहीं ली। घटना के बाद महिला के परिजन और ग्रामीणों ने पीएचसी के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि पूरे स्टाफ को निलंबित किया जाए।
सीएमएचओ डॉ. अलंकार गुप्ता ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मेडिकल ऑफिसर Dr. Jaysingh Choudhary को एपीओ कर दिया और मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित की है।
घटना का समय और परिजनों का गुस्सा
घटना सोमवार सुबह की है जब अस्पताल का समय सुबह 9 बजे का था। महिला के परिजन सुबह 8:30 बजे अस्पताल पहुंचे थे। मंगलवार सुबह प्रदर्शनकारियों को सीएमएचओ द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद धरना समाप्त हुआ।
जांच की प्रक्रिया
सीएमएचओ ने बताया कि घटना की हर पहलू से जांच की जा रही है। यह देखा जाएगा कि डिलीवरी कहां हुई और किस स्तर पर लापरवाही हुई। इसके लिए एक three-member committee भी बनाई गई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पीएचसी के मेडिकल ऑफिसर को मुख्यालय स्थानांतरित कर दिया गया है।
मेडिकल ऑफिसर की सफाई
मेडिकल ऑफिसर डॉ. जयसिंह चौधरी ने सफाई देते हुए कहा कि वे घटना के समय क्वार्टर में ही थे। उनके अनुसार, डिलीवरी से संबंधित कोई जानकारी उन्हें नहीं दी गई थी।
पति का दर्द: एंबुलेंस और अस्पताल ने धोखा दिया
महिला के पति महेश डामोर ने बताया कि उनकी पत्नी सुरा को सुबह लेबर पेन हुआ। उन्होंने 108 ambulance service को कॉल किया, लेकिन डेढ़ घंटे तक एंबुलेंस नहीं आई। मजबूर होकर उन्होंने अपनी पत्नी को प्राइवेट वाहन से पीएचसी पहुंचाया।
वहां मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने महिला को देखकर मदद करने के बजाय सीमलवाड़ा अस्पताल जाने की सलाह दी। दर्द से कराह रही महिला पोर्च में लेट गई और वहीं डिलीवरी शुरू हो गई।
अस्पताल की खराब व्यवस्था
डिलीवरी के दौरान, महिला के परिजनों ने नर्सिंग स्टाफ से मदद मांगी, लेकिन उन्होंने समय से पहले अस्पताल खोलने से मना कर दिया। मजबूरी में महिला की नाल भी उसकी भाभी ने काटी।
PHC के पुराने भवन की जर्जर हालत के चलते इसे परिसर में ही बने क्वार्टर में शिफ्ट किया गया है। यहां 2 डॉक्टर और 13 स्टाफ मौजूद हैं। इसके बावजूद महिला को इलाज न मिलना लापरवाही का गंभीर उदाहरण है।
यह घटना healthcare system में सुधार की जरूरत को उजागर करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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