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Kisan Andolan: सरकार के लिए किसानों की समस्याओं का समाधान क्यों मुश्किल है?

by PP Singh
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Kisan Andolan

Kisan Andolan: सरकार के लिए किसानों की समस्याओं का समाधान क्यों मुश्किल है?

Local Patrakar Desk: कृषि भारत की रीढ़ मानी जाती है, लेकिन इसके साथ जुड़े मुद्दे और समस्याएं सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं। कृषि राज्य का विषय है, और केंद्र सरकार इसमें कोई बड़ा निर्णय लेने में सीमित अधिकार रखती है। वहीं, भारत का विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर निकलना भी संभव नहीं लगता, क्योंकि यह भारत के व्यापारिक संबंधों को गहराई से प्रभावित करेगा। साथ ही, फसलों की लागत और MSP को लेकर कई पेच फंसे हुए हैं।

किसानों की ताजा स्थिति और उनकी मांगें

साल 2024 के आखिर में देश के किसान एक बार फिर सड़कों पर उतर आए। उनका आंदोलन जोर पकड़ चुका है, और संसद में इस पर चर्चा भी हो रही है। शुक्रवार को राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस पर काम चल रहा है।

हालांकि, किसानों की समस्याओं का समाधान इतना आसान नहीं है। जानकार मानते हैं कि किसानों की मांगें और सरकारी व्यवस्था के बीच चार बड़ी समस्याएं हैं, जो इस मामले को सुलझाने में बाधा बन रही हैं।


किसानों की मुख्य मांगें क्या हैं?

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के अनुसार, किसानों की प्रमुख मांग सभी फसलों पर MSP की कानूनी गारंटी है। वे चाहते हैं कि एमएसपी स्वामीनाथन की सिफारिशों के आधार पर तय हो, जिसमें C2+50% फॉर्मूला लागू हो।

इसके अलावा, किसानों की अन्य मांगों में शामिल हैं:

  1. गन्ना और हल्दी की खरीदारी भी स्वामीनाथन की सिफारिशों के आधार पर हो।
  2. कृषि क्षेत्र को प्रदूषण के नियमों से बाहर रखा जाए।
  3. किसानों की कुल 12 मांगें हैं, जिन पर सरकार पहले चर्चा कर चुकी है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

आंदोलन के नेता सरवन सिंह पंढेर का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों पर पहले ध्यान दिया था, लेकिन अब कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।


किसानों के मुद्दे क्यों सुलझाना मुश्किल है?

1. WTO की शर्तें और MSP की गारंटी

किसान सभी फसलों पर MSP की कानूनी गारंटी चाहते हैं। इसका मतलब होगा कि सरकार को सभी फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करनी पड़ेगी। लेकिन यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन होगा।

WTO, व्यापार से जुड़े वैश्विक नियमों को तय करने वाला संगठन है। इसके नियमों के अनुसार, MSP को कानूनी गारंटी नहीं दी जा सकती, केवल सब्सिडी देने की अनुमति है।

यदि सरकार इसे लागू करती है, तो भारत को WTO की सदस्यता छोड़नी पड़ेगी। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों को प्रभावित करेगा बल्कि देश की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर डालेगा।

2. कृषि राज्य का विषय है

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार, कृषि राज्य का विषय है। इसका मतलब है कि बड़े फैसले राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

हालांकि, किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार संसद में इस पर बिल लाए। विपक्ष भी यही मांग कर रहा है। लेकिन अगर केंद्र ऐसा करता है, तो यह संवैधानिक संकट खड़ा कर सकता है।

यदि इस मसले को कोर्ट में चुनौती दी गई, तो इसे लेकर नए सिरे से बहस छिड़ सकती है। इससे केंद्र सरकार पर सवाल उठेंगे, और यह अन्य क्षेत्रों में भी केंद्र की दखलंदाजी का रास्ता खोल सकता है।

3. फसलों की लागत का निर्धारण

किसानों और सरकार के बीच एक बड़ा मुद्दा यह है कि फसलों की लागत कैसे तय हो। स्वामीनाथन आयोग ने C2 फॉर्मूला सुझाया था, जिसमें किसानों की लागत के साथ 50% मुनाफा जोड़ने की बात थी।

लेकिन, किसान संगठन चाहते हैं कि इस फॉर्मूले को वर्तमान महंगाई के अनुसार अपडेट किया जाए। मजदूरी, बीज और खाद की बढ़ती लागत को देखते हुए फसलों की लागत का पुनर्मूल्यांकन जरूरी है।

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4. किन फसलों पर मिले MSP?

सरकार फिलहाल उन्हीं फसलों पर MSP देना चाहती है, जिनकी बाजार में ज्यादा मांग है, जैसे दलहन और तिलहन। हाल ही में, सरकार ने इन फसलों की MSP में बढ़ोतरी की है।

किसान संगठन सभी फसलों पर MSP की गारंटी चाहते हैं। किसान नेता परमजीत सिंह का कहना है कि उत्तर और दक्षिण भारत के किसान मुख्य रूप से गेहूं और धान की खेती करते हैं। लेकिन इन फसलों पर MSP का अभाव किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है।


क्या हैं सरकार के लिए विकल्प?

  1. MSP लागू करने के लिए नई नीति बनाना: सरकार किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए एक विशेष नीति बना सकती है, जिसमें WTO की शर्तों का भी समाधान हो।
  2. फसलों की लागत पर स्पष्ट दिशा-निर्देश: किसानों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर फसलों की लागत का पारदर्शी निर्धारण किया जा सकता है।
  3. राज्य और केंद्र का समन्वय: राज्यों को उनकी भूमिका स्पष्ट कर केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय बनाया जा सकता है।

FAQs

1. किसानों की मुख्य मांग क्या है?
किसानों की सबसे बड़ी मांग सभी फसलों पर MSP की कानूनी गारंटी है, जो स्वामीनाथन फॉर्मूले के आधार पर तय हो।

2. क्या सरकार सभी फसलों पर MSP लागू कर सकती है?
इसमें WTO की शर्तें और कृषि का राज्य विषय होना बड़ी बाधा है।

3. MSP लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
WTO की शर्तें, फसलों की लागत का निर्धारण और केंद्र-राज्य की संवैधानिक बाधाएं।

4. क्या सभी फसलों पर MSP देना संभव है?
वर्तमान में यह संभव नहीं लगता, क्योंकि सरकार केवल बाजार में डिमांड वाली फसलों पर MSP देना चाहती है।


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