Home न्यूज़ नामा LGBTQ- कोई बीमारी, अभिशाप या पाप नहीं, ये भी इंसान हैं, बस समझने की जरूरत है

LGBTQ- कोई बीमारी, अभिशाप या पाप नहीं, ये भी इंसान हैं, बस समझने की जरूरत है

by PP Singh
272 views
LGBTQ

LGBTQ- कोई बीमारी, अभिशाप या पाप नहीं, ये भी इंसान हैं, बस समझने की जरूरत है

  • LGBTQ-कोई बीमारी, अभिशाप या पाप नहीं
  • ये भी इंसान हैं, बस समझने की जरूरत है
  • समाज का एक ऐसा तबका, जिसकी पहचान ?
  • हर दिन घूंटता है, हर दिन मरता है ये वर्ग

ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार। वर्ल्ड और सोसायटी में 2 पिलर सबसे इम्पोर्टेंट हैं। एक है मेल और दूसरा फीमेल। जिनके दम पर ये सोसायटी चल रही है। लेकिन इन दोनों के अलावा भी एक तीसरा वर्ग है। जिसे थर्ड जेंडर कहा जाता है। जिसे हम अपने समाज में कई नामों से जानते हैं और पहचानते हैं। थर्ड जेंडर, लेस्बियन, बाइसेक्सुअल, गे, ट्रांसजेंडर, शीखंडी, किन्नर और हिजड़ा। लेकिन आपको क्या लगता है। ये भी मेल और फीमेल की जैसी परेशानियों का सामना करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सो कॉल्ड सभ्य समाज में थर्ड जेंडर की सबसे दयनीय हालत है। जिसकी सबसे बड़ी वजह है भेदभाव। चाहे गवर्मेंट सेक्टर हो या फिर प्राइवेट, चाहे गली हो या फिर चौराहा, चाहे गांव हो या फिर शहर इन्हे हर जगह हर बार यू कहें की बार-बार शर्मिंदगी, जलालत यहां तक की नफरत भी झेलनी पड़ती है।

किसी ने सही कहा है कि पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती। लेकिन LGBTQ के केस में ये कहावत सही साबित नहीं होती। क्योंकि इनकों हर 5 में से 4 लोगों ने नफरत भरी नजरों से ही देखा है। मानों ये इस सभ्य समाज का हिस्सा ही नहीं। अलग-थलग हैं या फिर किसी बाहरी दुनियां के लोग हैं। कुछ लोग तो इनसे बातें करना तो दूर। इनके साथ खड़ा होने में भी शर्मिंदगी महसूस करते हैं। इस तरह की तस्वीरे हमारे सो कॉल्ड समाज की हकीकत है। ये समाज आदिशक्ति स्वरूप की पूजा तो करता है। लेकिन मानता नहीं है। महाभारत काल में भी अर्जुन ने एक साल तक किन्नर बनकर गुजारा था। लेकिन समाज के चुनिंदा लोग इसे भी मजबूरी का नाम देंगे। वो कहेंगे कि उन्हे श्राप मिला था। इसलिए किन्नर का रूप मिला। जबकि एक्सपर्ट की माने तो अगर वो किन्नर नहीं बनते तो शायद अज्ञातवास पूरा नहीं कर पाते। फिर भी इस वर्ग को अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए इतनी मशक्कत करनी पड़ती है। अस्पताल हो या फिर थाना, बस हो या फिर ट्रेन इन्हे कई बार अपना चेहरा तक छिपाना पड़ जाता है।

21वीं सदी और बदलते समाज में लोगों का रहन सहन तो बदला अगर कुछ नहीं बदला तो लोगों की मानसिकता। यही वजह है कि इन्हे जन्म से लेकर मृत्यु तक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इन्हे इस बेरहम और बेदर्द समाज में अपमान, शोषण और बदनामी का बार-बार सामना करना पड़ता है। देखा जाए तो इनकों जिंदा रहने के लिए पहले खुद से जंग जितनी पड़ती है और फिर इस समाज के बेगैरत वर्ग का सामना करना पड़ता है। इनकी दुखभरी लाइफ को कई लेखकों ने शब्दों में पिरोया और फिल्मों, नुक्कड़ नाटकों के जरिए दुनिया के सामने रखा। लेकिन इस समाज ने इन्हे आजतक बांहें फैलाकर अपनाया ही नहीं। आखिर क्या है इनका गुनाह। पहले शारीरिक परेशानियां झेलते हैं फिर मानसिक प्रताड़ना झेलते हैं और फिर बची कुची जो हिम्मत होती है वो भी ये समाज तोड़ कर चकनाचूर कर देता है।

जिस वर्ग को सर्वोच्च अदालत अपना चुकी है। जिनके बीच कभी भगवान ने भेदभाव नहीं किया। फिर हम इंसान क्यों उन्हे खुद से अलग मानते हैं। उनका भी हाड़ मांस का शरीर है। उन्हे भी तकलीफ होती है, दर्द होता है। उनके भी आंसू निकलते हैं कुछ चुबने पर खून निकलता है। फिर इनके साथ बदसलूकी क्यों की जाती है। क्यों उन्हे समाज का हिस्सा नहीं माना जाता। लोकल पत्रकार की टीम आपसे अपील करती है कि समलैंगिकता कोई अपराध या अभिशाप नहीं है। बल्कि हमें इस अपेक्षित वर्ग का सम्मान करना चाहिए। उन्हे वो दर्जा देना चाहिए जिसके वो हकदार हैं। ये तभी मुमकिन है जब हम खुदको और उनको भरोसे भरी निगाहों से देखेंगे। तब कहीं जाकर ये सो कॉल्ड समाज… एक सभ्य समाज बन पाएगा।

—-LGBTQ का मतलब—-

L-लेस्बियन- एक महिला दूसरी महिला से आकर्षित होती है।
G-गे- एक पुरुष दूसरे पुरुष से आकर्षित होता है। समलैंगिकता को कानूनी मान्यता है। लेकिन समलैंगिक विवाह को नहीं।
B-बाइसेक्सुअल- किसी शख्स को पुरुष और महिला दोनों से आकर्षण होता है।
T-ट्रांसजेंडर- तीसरा लिंग यानि की जिनका लिंग जन्म के लिंग से अलग होता है।
Q-क्वीयर, क्वेश्चनिंग- जो अपनी लैंगिक पहचान और शारीरिक चाहत तय नहीं कर पाते।

Best Saving Schemes: Children’s Day पर बच्चों को दें ये 5 बेहतरीन योजनाओं का तोहफा, जानें कैसे मिलेगा फायदा

अब बच्चों की पेंशन पक्की! NPS Vatsalya Yojana से भविष्य होगा सुरक्षित – जानें योजना की पूरी जानकारी

(देश-दुनिया की ताजा खबरें सबसे पहले Localpatrakar.com पर पढ़ें, हमें Facebook, InstagramTwitter पर Follow करें और YouTube पर सब्सक्राइब करें।)

You may also like

Leave a Comment

लोकल पत्रकार खबरों से कुछ अलग हटकर दिखाने की कोशिश है कुछ ऐसा जिसमें ना केवल खबर हो बल्कि कुछ ऐसा जिसमें आपके भी विचार हो हमारी कोशिश को सफल बनाने के लिए बने रहिए लोकल पत्रकार के साथ 🎤🎥

Edtior's Picks

Latest Articles

© Local Patrakar broadcast media . All Rights Reserved.