Table of Contents
One Nation, One Election: फायदे, चुनौतियां और क्या कहती है कमेटी रिपोर्ट?
भारत में ‘One Nation, One Election’ यानी एक देश-एक चुनाव का मतलब है कि लोकसभा, विधानसभा, और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसका उद्देश्य चुनावों की बार-बार होने वाली प्रक्रिया को कम करके, प्रशासन और संसाधनों को बचाना है। चर्चा है कि केंद्र सरकार इसे अपने मौजूदा कार्यकाल में ही लागू करने की योजना बना रही है। इस विषय पर रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी गई है।
आइए, इसे विस्तार से समझते हैं:
One Nation, One Election का विचार क्या है?
‘One Nation One Election’ का मतलब है कि लोकसभा, सभी राज्य विधानसभाएं, नगर निगम, नगर पालिका, और ग्राम पंचायतों के चुनाव एक निश्चित समय पर या एक ही दिन कराए जाएं। आजादी के शुरुआती 20 वर्षों में, भारत में ऐसा ही होता था।
1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए। लेकिन राज्यों के पुनर्गठन और कुछ सरकारों के अस्थिर होने से यह प्रणाली टूट गई।
PM MODI का समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से इस प्रणाली की वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि बार-बार चुनाव होने से विकास कार्य प्रभावित होते हैं। उन्होंने 15 अगस्त को लाल किले से इस विषय पर सभी राजनीतिक दलों से सहयोग करने की अपील की थी।
भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे प्राथमिकता दी थी।
फायदे क्या हैं?
1. चुनाव खर्च में कमी:
बार-बार चुनाव कराने से सरकारी खजाने पर भारी खर्च होता है। एक साथ चुनाव होने से यह खर्च घटेगा।
2. विकास कार्यों में तेजी:
बार-बार चुनावी प्रक्रिया से बचने पर सरकारें अपने कामकाज और योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगी।
3. वोटिंग प्रतिशत में वृद्धि:
लगातार चुनाव होने से जनता में उदासीनता आती है। एक साथ चुनाव से लोगों की रुचि बढ़ सकती है।
चुनौतियां क्या हैं?
1. संविधान में संशोधन की जरूरत:
लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल पांच साल के होते हैं, लेकिन इन्हें समय से पहले भंग भी किया जा सकता है। इसे रोकने के लिए संविधान में बदलाव करना होगा।
2. संसाधनों की कमी:
एक साथ चुनाव कराने के लिए अतिरिक्त EVMs, VVPATs, और सुरक्षा बलों की जरूरत होगी।
3. क्षेत्रीय मुद्दों का दब जाना:
क्षेत्रीय दलों का मानना है कि राष्ट्रीय मुद्दों के सामने उनके स्थानीय मुद्दे दब सकते हैं। इससे उनकी राजनीतिक पहचान कमजोर हो सकती है।
अन्य देशों में क्या होता है?
1. अमेरिका:
यहां हर चार साल में राष्ट्रपति, कांग्रेस, और सीनेट के चुनाव एक साथ होते हैं।
2. फ्रांस और स्वीडन:
फ्रांस में नेशनल असेंबली और राष्ट्रपति के चुनाव एक साथ होते हैं। स्वीडन में संसद, नगरपालिका, और काउंटी परिषद के चुनाव एक साथ कराए जाते हैं।
3. कनाडा:
यहां हाउस ऑफ कॉमंस के चुनाव हर चार साल में होते हैं। कुछ प्रांत स्थानीय चुनाव भी साथ में कराते हैं।
रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट
कोविंद कमेटी ने अपनी 18,626 पन्नों की रिपोर्ट में कुछ मुख्य सिफारिशें दी हैं:
- लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं।
- अगर किसी सरकार का कार्यकाल समय से पहले खत्म हो जाए, तो उस अवधि के लिए नए चुनाव कराए जाएं।
- चुनाव आयोग के लिए एक साझा वोटर लिस्ट तैयार हो।
- प्रशासन, सुरक्षा बलों और संसाधनों की पहले से योजना बनाई जाए।
कमेटी ने सुझाव दिया है कि सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाकर लोकसभा चुनाव के साथ जोड़ा जाए।
FAQ
Q1: वन नेशन-वन इलेक्शन (One Nation, One Election) से क्या फायदा होगा?
Ans: इससे चुनाव का खर्च घटेगा, विकास कार्यों में तेजी आएगी, और वोटिंग प्रतिशत बढ़ेगा।
Q2: क्या इसे लागू करने में चुनौतियां हैं?
Ans: हां, इसके लिए संविधान में संशोधन, संसाधनों की व्यवस्था, और राजनीतिक सहमति की जरूरत होगी।
Q3: किन देशों में यह प्रणाली लागू है?
Ans: अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, और कनाडा में एक साथ चुनाव होते हैं।
Q4: कोविंद कमेटी की सिफारिशें क्या हैं?
Ans: एक साथ चुनाव के लिए विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने, वोटर लिस्ट साझा करने और संसाधनों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिशें शामिल हैं।
वन नेशन-वन इलेक्शन (One Nation, One Election) भारत के चुनावी तंत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है। हालांकि इसे लागू करने में कानूनी और राजनीतिक चुनौतियां कम नहीं हैं। लेकिन अगर सभी पक्ष साथ मिलकर काम करें, तो यह योजना देश के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
(देश-दुनिया की ताजा खबरें सबसे पहले Localpatrakar.com पर पढ़ें, हमें Facebook, Instagram, Twitter पर Follow करें और YouTube पर सब्सक्राइब करें।)