राजस्थान विधानसभा में घमासान! Govind Singh Dotasra पर गिरी गाज, क्या जाएगी विधायकी?
ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार। राजस्थान विधानसभा सियासतदानों का अखाड़ा बन चुकी है। विधानसभा में ‘दादी’ पर सियासी दंगल इस कदर छिड़ा कि सब शब्दों की मर्यादा ही भूल गए। फिर चाहे वो सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष। सदन में गतिरोध बढ़ा, तो सदन से लेकर सड़क तक विपक्ष ने जमकर बवाल काटा। दरअसल पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) समेत 6 विधायकों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। तो सदन के बाहर सड़क पर भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा मचाया। गोविंद सिंह डोटासरा ने तो सदन में ही स्पीकर वासुदेव देवनानी को अपशब्द कह डाले। फिर क्या था स्पीकर भावुक हो गए। फूट-फूट कर रोने लगे।
मामला बढ़ा तो गतिरोध को खत्म करने के तमाम जुगतें की गई। सत्ता पक्ष और विपक्ष में छणभंगूर सहमति बनी। लेकिन डोटासरा ने माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया। अब सत्ता पक्ष के विधायक इस बात से खफा हो गए। एक तो आसन पर बैठे स्पीकर महोदय का अपमान किया। फिर माफी मांगने से भी इनकार कर दिया। इसके बाद गतिरोध खत्म होने के बजाय और बढ़ गया। सियासी जंग में दोनों तरफ से तीखे तीर चलने शुरू हो गए।
सत्ता पक्ष माफी मांगों…नहीं तो कार्रवाई की मांग पर अड़ गया। तो विपक्ष में गतिरोध को लेकर दो फाड़ नजर आने लगी। कांग्रेस के कई विधायक भी अब इस बात को मान रहे हैं कि स्पीकर के पद की मर्यादा को बनाए रखना चाहिए। चाहे वो कोई भी हो। दबी जुबां में तो सब बोल रहे हैं लेकिन कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा। आलम ये है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी तू-तू, मैं-मैं इतनी बढ़ गई है कि ये कहना भी मुश्किल है कि ये गतिरोध जल्द ही टूट जाएगा।
विधानसभा में स्पीकर का पद सर्वोच्च होता है। जिसका अपमान करने का हक किसी को नहीं होता। संवैधानिक पद पर बैठे स्पीकर का अनादर हर मायने में गलत है। इस पर स्पीकर चाहें तो खुद एक्शन ले सकते हैं। लेकिन उन्होने परंपरा को तोड़ने के बजाय एक्शन का फैसला सदन पर छोड़ दिया। अब सदन चाहे तो डोटासरा को एक साल या फिर बाकि कार्यकाल तक के लिए निलंबित कर सकती है। इतना ही नहीं उनकी विधायकी को भी जा सकती है। बावजूद इसके डोटासरा को अपने किये पर कोई अफसोस नहीं है। जबकि खुद उनकी पार्टी के कई बड़े नेताओं का कहना है कि स्पीकर का हर सिचुएशन में सम्मान होना चाहिए।
अब देखना ये है कि क्या सदन Govind Singh Dotasra पर कोई सख्त एक्शन लेती है या फिर छोटी-मोटी सजा देकर मामले को रफा-दफा करेगी। क्योंकि इस गतिरोध की वजह से अगर नुकसान किसी का हो रहा है। तो वो है आप और हम। सदन की कार्यवाही जनता और जनहित के मुद्दे उठाने और सुलझाने के लिए होती है। ना कि अपनी सियासी रोटियां सेकने के लिए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब जनहित के मुद्दों पर सदन में चर्चा होगी और कब ये गतिरोध खत्म होगा।
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