आस्था को संजोने होगा सती माता मंदिर का जीर्णोद्धार, हरियाली से करेंगे कायाकल्प
हमारा देश धर्म और उसमें आस्था रखने वालों का देश है। यहाँ नदियां गंगा माँ, तो हर कंकर-पत्थर शंकर है। भारत का इतिहास धर्म को बचाने के नाम पर बलिदान देने वाले वीरों से रचा गया है और भारत के ही सबसे बड़े राज्य राजस्थान का इतिहास यहां के वीरों से ज्यादा वीरांगनाओं के नाम से विख्यात है। राजस्थान में ऐसी कई वीर हुए हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि और धर्म की रक्षा करने के लिए अपनी जान तक बलिदान कर दी, तो यहां की वीरांगनाओं ने भी धर्म की रक्षा के लिए अपने आप को सती कर लिया।
ऐसे ही धर्म के नाम पर अपना बलिदान देने वाली एक सती माता का मंदिर अजमेर के नरवर में है। बताया जाता है कि आज से लगभग 351 वर्ष पूर्व 1732 में समस्त गुर्जर गौड़ तिवाड़ी पंडित खेमराज जी तिवाड़ी नरवर वालों की धर्मपत्नी श्रीमती हीरा गांव नरवर (अजमेर) में सती हुई थी।
इस मंदिर का गुर्जर गौड़ ब्राह्मण व अन्य समाज के भक्त जनों के सहयोग से अब फिर से जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इस स्थान को श्री सती वाटिका नरवर (अजमेर) के नाम से जाना जायेगा। इसमें सभी समाज के से लगभग 500 पेड़-पौधे लगाये जाएंगे और सबके सहयोग से इस वाटिका का कायाकल्प किया जायेगा। मंदिर में पूजा और रख-रखाव की जिम्मेदारी पंडित परमेश्वर शर्मा निभाएंगे।
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