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Maha Kumbh में भगदड़! 30 की मौत, 60 घायल – करोड़ों खर्च फिर भी चूक क्यों?

by PP Singh
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Maha Kumbh

Maha Kumbh में भगदड़! 30 की मौत, 60 घायल – करोड़ों खर्च फिर भी चूक क्यों?

ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार। महाकुंभ…महास्नान…योगी सरकार वो मेगा इवेंट…जिसके सफल आयोजन के लिए कई दिनों तक मीटिंगें हुई। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार के अधिकारियों का भी मंथन हुआ…कि करोड़ों लोग आएंगे… करोड़ों लोग स्नान करेंगे। करोड़ों लोग दर्शन करेंगे। करोड़ों लोग रुकेंगे… तो व्यवस्थाएं दुरुस्त होनी चाहिए। यूपी योगी सरकार ने कुंभ के सफल आयोजन के लिए एक दो नहीं बल्कि कई हजार करोड़ रुपए खर्च किए। ये दावा किया गया कि आप आइए…महास्नान करिए… महासंगम में आस्था की डुबकी लगाइए। व्यस्थाएं ऐसी हैं कि कभी देखी नहीं होगी। इतंजाम ऐसे हैं कि कोई अनहोनी नहीं हो सकती। लेकिन देर रात हुए हादसे में सारे दावे हवा-हवाई हो गए।
(विजुअल हो तो एंबियंस पर लगाएं)

अचानक भगदड़ मच गई। भीड़ एक दूसरे को कुचलते हुए निकल गई। हादसे में अबतक 30 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। जबकि 60 लोग घायल बताए जा रहे हैं। हालांकि ये आंकड़े सरकारी हैं। लेकिन जिसने ये आंखों देखा हाल देखा। उसके दावे कुछ और ही बता रहे हैं। हादसे वक्त मौजूद लोगों की माने तो ये मौत का आंकड़ा सरकारी आंकड़ों के पार है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में 40 लोगों की मौत बताया है तो घायलों की संख्या 70 से ज्यादा है। मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और डीआईजी वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई है। 60 लोग घायल है और 25 शवों की पहचान कर ली गई है। भगदड़ में मरने वालों में यूपी के सबसे ज्यादा 19 लोग, कर्नाटक के 4, गुजरात और असम के एक एक श्रद्धालु शामिल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया है।

जहां करोड़ों लोगों की भीड़ इकठ्ठा हुई। वहां एक चूक भी तबाही मचा सकती थी। ये बात प्रशासन से लेकर योगी सरकार यहां तक केंद्र सरकार भी जानती थी। ये हादसा भी ऐसे दिन हुआ। जब मौनी अमावस्या का मौका था। प्रशासन के पास आने वाली भीड़ का आंकड़ा भी था। फिर क्यों व्यवस्थाएं पुख्ता नहीं की गई। क्यों बढ़ती भीड़ को देखते हुए एक्स्ट्रा एहतियात नहीं बरती गई। जबकि चंद रोज पहले ही समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए थे। कि इतनी बड़ी तादाद में लोग आ रहे हैं। लेकिन व्यवस्थाएं ना के बराबर है। हजारों करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं.. बावजूद बुजुर्गों तक को कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है…। लेकिन किसी ने ना तो भीड़ की सुनी… और ना ही विपक्ष की। अब जो लोग मारे गए..उनके परिजन बिलख-बिलख कर रो रहे हैं। महाकुंभ में लोग मन्नतें मांगने आए थे। लेकिन इस खौफनाक मंजर की यादें अपने साथ लेकर घर को लौट रहे हैं। फिर भी योगी सरकार कह रही है कि सबकुछ अंडर कंट्रोल है। क्या कोई इस हादसे की जवाबदेही लेगा, इतने लोगों की मौत… इतने परिवारों को दर्द बांटने वाले जिम्मेदारों पर गाज गिरेगी। जाने वाले तो चले गए… लेकिन इस सिस्टम, सरकार पर सवाल छोड़ गए..कि क्यों भीड़भाड़ वाले मेलों, मंदिरों और पंडालों और कथाओं में जाने वाले श्रद्धालु यूं ही अपनी जान कब तक गंवाते रहेंगे।

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