शाही ठाठ-बाट के साथ निकली तीज माता की सवारी, विदेशी पावणों का कलाकारों संग डांस, ली सेल्फी
जयपुर। श्रावण शुक्ल तृतीया हरियाली तीज को सिटी पैलेस के जनानी ढ्योढ़ी से तीज माता की सवारी रियासतकालीन शाही ठाठ-बाट से निकली। सुर्ख लाल पोशाक में स्वर्णाभूषण से सुसज्जित तीज माता जैसे ही चांदी की पालकी में सवार होकर त्रिपोलिया गेट से बाहर आईं, तो सडक़, बरामदों और छतों पर बैठे श्रद्धालुओं ने तीज माता के जयकारों से चारदीवारी को गूंजायमान कर दिया। पूर्व राजपरिवार की सदस्य गौरवी कुमारी ने सिटी पैलेस में जनानी ड्योढ़ी में पारंपरिक पूजा-अर्चना की। वहीं त्रिपोलिया गेट पर पद्मनाभ सिंह ने तीज माता की आरती उतारी। हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों के साथ बड़ी संख्या में देसी-विदेशी पर्यटकों ने रियासतकालीन तीज की सवारी देखी और नजारों को मोबाइल में कैद किया। सबसे आगे सजे-धजे गजराज पर सवार महावत पूर्व राजपरिवार का पंचरंगा ध्वज थामे हुए थे। राजस्थानी धुन बिखेरते बैंडबाजा वादक, सजे हुए ऊंट-घोड़े और शाही लवाजमे के साथ निकली तीज माता की एक झलक पाने के लिए लोग उतावले नजर आए।
200 कलाकारों ने दी प्रस्तुतियां
प्रदेश के अलग-अलग स्थानों से आए करीब 200 कलाकारों ने प्रदेश की लोक कला और संस्कृति की छटा बिखेर कर लोगों का दिल जीत लिया। राजस्थान के प्रसिद्ध कालबेलिया, गैर नृत्य, बहरूपिया, मशक वादन, कठपुतली नृत्य, कच्छी घोड़ी और अलग-अलग बैंड, अनेक लोक कलाकारों के समूहों ने तीज की शाही सवारी में शामिल होकर शानदार प्रस्तुतियां दीं। कच्छी घोड़ी नृत्य की प्रस्तुति आकर्षण का केन्द्र रही। गैर नृत्य और बहरूपिया कलाकारों के साथ विदेशी पर्यटकों ने सेल्फी ली। लोक कलाकारों ने मयूर नृत्य से लोगों को प्रभावित किया। वहीं, कालबेलिया नृत्यांगनाएं भी मौजूद रहीं। जो नृत्य करते हुए आगे चल रहीं थीं। तीज की सवारी के साथ चल रहे राजस्थानी मस्कट के साथ फोटो खिंचवाने का क्रेज दिखा। पर्यटन विभाग की ओर से विदेशी पर्यटकों के लिए त्रिपोलिया गेट के सामने हिंद होटल की छत पर बैठने की व्यवस्था की गई।
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