Home धर्म-कर्म प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) की अनसुनी कहानी: शिवभक्त से राधारानी के परम भक्त बनने तक का अद्भुत सफर!

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) की अनसुनी कहानी: शिवभक्त से राधारानी के परम भक्त बनने तक का अद्भुत सफर!

by PP Singh
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जानिए प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj)

प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) की अनसुनी कहानी: शिवभक्त से राधारानी के परम भक्त बनने तक का अद्भुत सफर!

ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार। प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj)… आज शायद ही कोई शख्स होगा। जो इन्हे नहीं जानता होगा। राधारानी के परम भक्त..जिनके पास जीवन से जुड़ी शायद हर समस्या का समाधान है। उन्ही पीले वस्त्र पहनने वाले प्रेमानंद जी महाराज के बारे में आप कितना जानते हैं। क्या आप जानते हैं उनका असली नाम… क्या आप जानते हैं कि उनके परिवार में कौन-कौन हैं। वो वृंदावन क्यों आए थे। क्या आप जानते हैं कि राधारानी की भक्ति से पहले वो क्या करते थे। किसके अनुयायी और भक्त थे। ये सब हम आपको बताएंगे बने रहिए हमारे साथ।

सादा जीवन उच्च विचार… और उपर से परम भक्ति । ये संगम बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है। फिर चाहे वो साधु हो या फिर महात्मा या फिर योगी। प्रेमानंद जी महाराज..के पास इससे भी कईं ज्यादा खूबियां हैं। यही वजह है कि आज उनके वीडियो हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर है। नेताओं से लेकर अभिनेता यहां तक की क्रिकेटर्स और सेलिब्रिटज तक भी उनके विचारों से इतने प्रभावित हैं कि उनके दर्शन पाने के लिए वृंदावन तक खींचे चले आते हैं। ये तो सभी जानते हैं कि वो राधारानी के परम भक्त हैं और वृंदावन उनका ठिकाना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रेमानंदजी महाराज के जीवन के बारे में। कि उनका जन्म कहां हुआ। कैसे वो जवान हुए, उनका असली नाम क्या है, वो राधारानी के परम भक्त कैसे बने। उनके जीवन से जुड़ी हर वो बातें जो उनके चाहने वाले करोड़ों फैन्स तक हम पहुंचा रहे हैं।

प्रेमानंद जी महाराज और उनकी जिंदगी से जुड़े ऐसे फैक्ट्स जिनको बहुत कम लोग जानते हैं। प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम- अनिरुद्ध कुमार पांडे था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के सरसौल के अखरी गांव में हुआ था। बेहद ही साधारण परिवार में जन्मे थे प्रेमानंद जी महाराज..उनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी था। उनके घर में हमेशा से ही धार्मिक माहौल था। वो भी बचपन से ही अध्यात्म से जुड़े थे। महज 13 साल की उम्र में घर परिवार छोड़कर वो सन्यासी बन गए थे। घर छोड़ने के बाद वो काफी वक्त तक नंदेश्वर धाम में रहे और फिर वाराणसी चले गए। उस वक्त प्रेमानंद जी महाराज भोले बाबा शिवजी के परम भक्त थे। दिन रात उनका ही ध्यान करते थे। दिन में तीन बार गंगा में स्नान करते और तुलसी घाट पर एक पीपल के पेड़ के नीच बैठकर भोले बाबा की आराधना करते थे। कभी भिक्षा मिलती तो अपना पेट भर लेते थे और कभी नहीं मिलती थी तो भूख पेट..सिर्फ गंगाजल पीकर ही सो जाते थे। प्रेमानंद जी महाराज बचपन से नियमों को फॉलो करते थे। फिर चाहे कैसी भी सिचुएशन हो। कैसा भी मौसम हो। लेकिन दिन में तीन बार गंगा स्नान जरूर करते थे। जब उनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं थे। तो उन्होने बोरी को ही वस्त्र के रूप में धारण किया था। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए उन्होने दीक्षा ली। उनके गुरु श्री गौरांगी शरण जी थे। जिनके सानिध्य में वो करीब 10 साल तक रहे।

अब आप सोच रहे होंगे कि शिव भक्त होने के बाद वो कैसे राधारानी के परम भक्त बने। दरअसल प्रेमानंदजी महाराज की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत शिव भक्ति से शिव की नगरी वाराणसी में हुई थी। लेकिन उनके मन में राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आकर्षण और प्रेम था। जब उन्हे श्री हित गोविंद शरण जी महाराज का सानिध्य मिला तो राधा-कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम भाव ऐसा जागृत हुआ कि शिव भक्ति से मुड़कर राधा-कृष्ण की भक्ति में लीन हो गए और वृंदावन में ही बस गए। तब से लेकर आज तक उनके श्रीमुख से सिर्फ राधा-कृष्ण ही निकलता है। प्रेमानंद जी महाराज का जीवन… भक्ति, साहस और कठिनाइयों से भरा रहा। जब वो 35 साल की उम्र में पहुंचे तो उन्हे किडनी की गंभीर बीमारी हो गई। उस वक्त डॉक्टर्स ने बताया कि उनकी दोनों किडनी फेल हो चुकी है। उस वक्त उनके जीने की सिर्फ 4 से 5 साल तक की संभावनाएं थी। लेकिन इसे राधारानी का चमत्कार कहिए या फिर उनकी परम भक्ति का। वो आज भी हमारे साथ मौजूद हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि बीमारी ने उनका पीछा छोड़ दिया। सप्ताह में करीब तीन बार वो आज भी डायलिसिस करवाते हैं। उनके आश्रम में ही इलाज की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन 17 सालों तक किडनी फेलियर जैसी गंभीर बीमारी से ना सिर्फ उन्होने जिंदगी की जंग लड़ी बल्कि जीती भी। आज भी उनमें वही हौसला, साहस और भक्ति भाव मौजूद है जो उनके अनुयायियों और हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

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