Home न्यूज़ नामा वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का “पद, मद और कद”… बातों-बातों में लगा दिया निशाना..!

वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) का “पद, मद और कद”… बातों-बातों में लगा दिया निशाना..!

by PP Singh
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वसुंधरा राजे का “पद, मद और कद”… बातों-बातों में लगा दिया निशाना..!

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने शनिवार को अपना पद भार ग्रहण किया। पार्टी के कई बड़े- बड़े नेता मौजूद रहे। फिर कार्यकर्ताओं को सम्बोधित भी किया गया। अब इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में किसी का सम्बोधन है, तो वो हैं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे का।

वैसे तो वे प्रदेश अध्यक्ष को गुरू मंत्र दे रहीं थीं। ना भाई ना… ऐसा हम नहीं, खुद प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा है। हां, तो इस गुरू मंत्र में उन्होंने जो कहा, वो कहीं तो तीर की तरह लगा। राजे ने इस सम्बोधन में अपना दुखड़ा भी सुना दिया, पार्टी के लोगों को अनुभव की बातें भी बता दी और एक तीर भी छोड़ दिया। अब लगा कहाँ, ये तो जनता है, सब जानती है।

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पद, मद और कद

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने पार्टी नेताओं को बड़ी सीख दी। उन्होंने कहा, ‘यदि पद का मद हो जाता है, तो उसका कद कम हो जाता है। आज के दौर में यह होता रहता है। मुझे विश्वास है कि मदन राठौड़ कभी पद का मद नहीं करेंगे। ऐसे ही व्यक्ति की हमारी पार्टी को जरूरत थी। मेरी नजर में सबसे बड़ा पद जनता का प्यार और विश्वास है, जिसे आपसे कोई नहीं छीन सकता।’ वसुंधरा राजे ने आगे कहा, ‘राजनीति का दूसरा नाम उतार-चढ़ाव है। हर व्यक्ति को इस दौर से गुजरना पड़ता है। हर व्यक्ति को जीवन में पद, मद और कद… इन तीन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। पद और मद स्थायी नहीं है। स्थायी है तो सिर्फ कद। अगर आप अच्छा काम करते हो तो लोग आपको याद करते हैं, जिससे कद बना ही रहता है।”

सबको साथ लेकर चलना आसान नहीं

बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कहा कि ‘केंद्रीय नेतृत्व को धन्यवाद देना चाहती हूं कि उन्होंने सरल और ईमानदार कार्यकर्त्ता को देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाया।’ राजे ने मदन राठौड़ से कहा कि आपको सबको साथ लेकर चलना है, यह मुश्किल काम है, इस काम में कई लोग फेल भी हुए हैं, लेकिन मुझे विश्वास है कि आप इस दायित्व को अच्छे से निभाएंगे। राजे ने अपने सम्बोधन में कहा कि मदन ने मेरे साथ काम किया है। इसलिए मैं उनकी कार्य शैली से परिचित हूं। ये धैर्यवान और कर्मठ कार्यकर्ता हैं। इसीलिए अब वे राज्यसभा के सदस्य होने के साथ ही भारत के सबसे बड़े प्रदेश के अध्यक्ष भी बन गए हैं। ये उसी धैर्य का परिणाम है। अगर धैर्यवान नहीं होते, तो आज इन्हें ये मुकाम नहीं मिलता।

अब इशारों-इशारों में पूर्व मुख्यमंत्री का दर्द तो छलक ही उठा, लेकिन दर्द की टीस जहां उठनी थी, वहां उठी या नहीं, ये तो आने वाला वक़्त ही बता पायेगा।

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