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क्या अमेठी में चलेगी ‘जादूगर’ की जादूगरी, Ashok Gehlot पर अब भी कांग्रेस को भरोसा

by PP Singh
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Ashok Gehlot

क्या अमेठी में चलेगी ‘जादूगर’ की जादूगरी, Ashok Gehlot पर अब भी कांग्रेस को भरोसा

राजस्थान के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Ashok Gehlot पर कांग्रेस ने एक बार फिर भरोसा जताया है। इसलिए अशोक गहलोत को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। बेशक दो चरणों में राजस्थान में लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। लेकिन अशोक गहलोत की रणनीति और लोकप्रियता के चलते उन्हे पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी है।

अमेठी में अशोक गहलोत की एंट्री

मौजूदा चुनाव में देशभर की निगाहें अमेठी और रायबरेली सीट पर टिकी हुई है। हालांकि अबकी बार राहुल गांधी के रायबरेली जाने के चलते अमेठी से गांधी परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है। लेकिन फिर भी किशोरीलाल शर्मा और अशोक गहलोत की मौजूदगी अमेठी के चुनाव को रोचक जरूर बना देगी। इस चुनाव में प्रत्याशी केएल शर्मा ही होंगे लेकिन गहलोत के रणनीतिक कौशल के चलते भी इस बार अमेठी के चुनाव पर देश की निगाहें बनी रहेंगी।

गांधी परिवार के लॉयलिस्ट को कमान

इस चुनाव में गांधी परिवार के दो लॉयलिस्ट एक साथ नजर आएंगे। वो भी अमेठी के लोकसभा चुनाव में.. दरअसल कांग्रेस ने राहुल गांधी को अमेठी से रायबरेली शिफ्ट कर दिया है और इसके साथ ही अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया। गांधी परिवार के लॉयलिस्ट और अब तक यहां कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में काम संभालने वाले शर्मा छात्र राजनीति से सक्रिय रहे हैं। लेकिन गांधी परिवार का काम संभालने के चलते वो बड़े चुनाव लड़ने से दूर ही रहे।

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स्मृति ईरानी से सीधी टक्कर

अमेठी में केन्द्रीय मन्त्री स्मृति ईरानी का मुकाबला किशोरीलाल शर्मा से होगा। लेकिन किशोरी लाल इस चुनाव में अकेले नहीं होंगे। उनके रणनीतिकार के तौर पर पार्टी ने गहलोत को ज़िम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत को अमेठी चुनाव के लिए पार्टी का सीनियर ऑब्ज़र्वर नियुक्ति किया है। साथ ही रायबरेली के चुनाव में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को सीनियर ऑब्ज़र्वर की ज़िम्मेदारी दी गई है।

गहलोत को ही क्यों दी जिम्मेदारी ?

कांग्रेस में अशोक गहलोत की मौजूदगी के मायने इस बात से लगाए जा सकते हैं कि जब कभी पार्टी किसी पेंच में फंसती है तो अशोक गहलोत पार्टी को उस संकट से बाहर निकालते हैं। उनकी जादूगरी का लोहा पार्टी के नेता ही नहीं बल्कि विपक्ष भी मानता है। यही वजह है कि कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली अमेठी सीट की जिम्मेदारी अशोक गहलोत को सौंपी गई है। लिहाजा उनका चुनाव पार्टी के लोग और स्थानीय नेतृत्व संभालेगा। इस लिहाज से अशोक गहलोत के कंधों पर दो ज़िम्मेदारी होगी। गहलोत पर चुनाव ऑब्जर्वर के साथ साथ भीतरघात जैसी चीजों पर भी नजर बनाकर रखनी होगी।

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माना जा रहा है कि चुनाव तक गहलोत का फोकस अमेठी ही रहेगा। क्योंकि अमेठी सीट किसी वक्त में कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी और उनका मुकाबला स्मृति ईरानी की रणनीति से होगा। स्मृति ईरानी पहले ही राहुल गांधी को चुनाव हरा चुकी हैं। इस लिहाज से गहलोत के ऑब्ज़र्वेशन में कांग्रेस की जीत के लिए रणनीति बनाना चुनौतीपूर्ण भी रहेगा।

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