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Ramdevra temple : चमत्कार करता है कंगन, पूरी होती है हर मनोकामना
राजस्थान के एक लोक देवता के मंदिर में ऐसा कंगन मौजूद है, जिसमे से निकलने पर आपकी मांगी गई सभी इच्छाएं पूरी होती है। जी हां, ये सच है। पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्थित रामदेवरा में बाबा रामदेव का मंदिर है। प्रदेश के लोक देवता रामदेव बाबा के इस मंदिर को रुणिचा धाम के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये कंगन बाबा रामदेव की मुंहबोली बहन डाली बाई का है।
पेड़ के नीचे मिली थी डाली बाई
आपको बता दें कि बाबा रामदेव को डाली बाई एक पेड़ के नीचे मिली थी। मंदिर से तकरीबन 3 किलोमीटर की दूरी पर ये पेड़ आज भी स्थित है, जहां बाबा रामदेव को अपनी मुंहबोली बहन मिली थी। पेड़ वाला स्थान अब नेशनल हाईवे की जद में आता है। इस पेड़ को डाली बाई की जाल के नाम से जाना जाता है। लोगों में ये बात प्रचलित है की बाबा रामदेव को बचपन में इस पेड़ के नीचे एक नवजात बच्चा मिला था, जो एक लड़की थी। इसे वो अपने साथ मुंहबोली बहन बना कर ले आए थे। बाबा ने ही उसे डाली बाई नाम दिया था। मंदिर आने वाले श्रद्धालु इस पेड़ तक भी पहुंचते है और अपनी आस्था जताते हैं।
पत्थर का बना है कंगन
बाबा के रुणिचा धाम में बना ये कंगन पत्थर का है। हालांकि ये पत्थर ज्यादा बड़ा नहीं है, फिर भी श्रद्धालु इसके नीचे से निकलते हैं और मन्नत मांगते हैं। लोगों में ये बात प्रचलित है की मोटे से मोटे लोग भी इस कंगन से गुजर सकते हैं। कोई भी इसमें फंसता नहीं है। कंगन को बाबा की समाधि के पास ही बना कर स्थापित करवाया गया है। श्रद्धालु मानते हैं की इस कंगन से निकलते समय जो भी मन से मांगा जाए, को जरूर मिलता है। रामदेवरा यात्रा के समय तो मंदिर में काफी भक्त पहुंचते हैं।
भाद्रपद महीने से होती है शुरुआत
गौरतलब है की भाद्रपद महीने की द्वितीय तिथि से ये यात्रा शुरू होती है, जहां बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ के दर्शन सबसे पहले किए जाते हैं। बाबा रामदेव की गुरु बालीनाथ का मंदिर राज्य के जोधपुर शहर में स्थित है। भाद्रपद की द्वितीया को यहीं सबसे पहले दर्शन से इस मेले की शुरुआत होती है। इसके बाद श्रद्धालु रुणिचा धाम, रामदेवरा पहुंचते हैं। ये मेला भाद्रपद एकादशी तक चलता है।
अंतरप्रांतीय है मेला
इस मेले में देश भर से श्रद्धालु जुटते हैं। पवित्र रुणिचा धाम में
राजस्थान के अलावा कई राज्यों से भक्त शामिल होते हैं। रामदेवरा में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कोलकाता, मद्रास, बेंगलोर, बिहार, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली आदि प्रांतों से लाखों यात्री पैदल, मोटरसाइकिल, साइकिल, बस रेल व अन्य साधनों से यहां आकर बाबा की समाधि के दर्शन करते है और अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रद्धा सहित आराधना करते है।