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Rajasthan Shri Sanwaria Seth Temple:
हमारे देश में कई धर्म हैं और उनकी कई मान्यताएं हैं। लेकिन सनातन धर्म इन सबकी आधारशीला है। जिसमें भगवान की मूर्ति पत्थर की जरूर हो सकती है, लेकिन भक्तों के लिए उस पत्थर में अपने भगवान के प्राण होते हैं। फिर वे उन्हें कभी अपने बच्चे की तरह अपने घर अपने साथ रखते हैं, तो कभी अपने जीवन की डोर हमेशा के लिए उनके हाथों में छोड़ देते हैं। यही नहीं कई मंदिरों में उस भगवान रूपी मूर्ति को कई लोग अपना बिजनेस पार्टनर भी बना लेते हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान में है। जिसे ‘ सांवलिया सेठ’ के नाम से जाना जाता है। सांवलिय सेठ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है।
मीरा के हाथ में जो मूर्ति थी वहीं हैं ‘सांवलिया सेठ’
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री सांवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से है। सांवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है, जिनकी वह पूजा किया करतीं थीं और इसी मूर्तियों के साथ भ्रमणशील रहती थी। दयाराम नामक संत की ऐसी ही एक जमात थी जिनके पास ये मूर्तियां थी। माना जाता हैं कि जब औरंगजेब की सेना मंदिरों में तोड़-फोड़ कर रही थी, तब मेवाड़ में पहुंचने पर मुगल सैनिकों को इन मूर्तियों के बारे में पता लगा। मुगलों के हाथ लगने से पहले ही संत दयाराम ने प्रभु-प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर में एक वट-वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर इन्हें भूमिगत कर दिया।
सपने में दिए दर्शन फिर निकले जमीन से
बताया जाता है कि कालान्तर में सन 1840 मे मंडफिया ग्राम निवासी भोलाराम गुर्जर नाम के ग्वाले को सपने में सांवलिया सेठ ने दर्शन दिए। सपने में स्वयं भगवान ने उन्हें बताया कि भादसोड़ा-बागूंड गांव की सीमा के छापर में भगवान की तीन मूर्तिया जमीन मे दबी हुई हैं। जब उस जगह पर खुदाई की गयी तो सपना सही निकला और वहां से एक जैसी तीन मूर्तिया प्रकट हुईं। सभी मूर्तियां बहुत ही मनोहारी थी। उन मूर्तियों में से उन्होंने एक मूर्ति मंडाफिया में, दूसरी भादसोड़ा में और तीसरी मूर्ति उसी स्थान पर स्थापित की जहां पर वह मूर्तियाँ मिली थी।
बालाजी भी हैं बिजनेस पार्टनर
संवारिया सेठ के अलावा, राजस्थान में स्थित मेहंदीपुर बालाजी और सालासर बालाजी भी व्यापारी लोगों के बिजनेस पार्टनर बनते हैं। उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी और उड़ीसा के जगन्नाथ जी को भी व्यापारियों के साथ कारोबार में लाभ के लिए जोड़ा जाता है। सेठ मंदिर में कई एनआरआई भक्त भी आते हैं और वे अपनी विदेशी आय से संवारिया सेठ के धरोहर मंदिर को समर्थन प्रदान करते हैं। इसलिए, वहाँ से अनेक विभिन्न देशों की मुद्रा निकलती है, जैसे कि डॉलर, पाउंड, दिनार, रियाल आदि।