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नए जिलों पर संकट के सियासी बादल,जनता को फायदा या नुकसान

by PP Singh
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नए जिलों पर संकट के सियासी बादल,जनता को फायदा या नुकसान

नए जिलों पर संकट के सियासी बादल,जनता को फायदा या नुकसान

राजस्थान में नए जिलों की समीक्षा को लेकर गठित कमेटी पर सियासत शुरू हो चुकी है। कांग्रेस को लगता है कि मौजूदा बीजेपी सरकार कांग्रेस प्रभाव वाले जिलों को खत्म कर सकती है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी संकेत दिए हैं कि आनन फानन में लिए फैसलों की समीक्षा की जाएगी। क्योंकि जल्दबाजी में बनाए गए जिले मापदंडों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। ऐसे में समीक्षा के बाद फैसला लिया जाएगा कि उन्हें खत्म किया जाएगा या पुनर्गठित।

कांग्रेस को कमेटी की मंशा पर शंका

कांग्रेस की गहलोत सरकार ने चुनाव से पहले आनन फानन में प्रदेश में 17 नए जिलों और 3 संभाग बनाए थे। अब सरकार बदलने के बाद इनके भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सरकार ने डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा की अध्यक्षता में जिलों की समीक्षा के लिए मंत्रिमंडलीय सब कमेटी गठित की है। कमेटी में मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़,कन्हैयालाल चौधरी,हेमंत मीणा और सुरेश रावत शामिल है। संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल का तर्क है कि गहलोत ने अपने चहेतों को खुश करने के लिए आनन फानन में जिले बना दिए। जिले बने कई शहर-कस्बे जिला मुख्यालय बनने के मापदंडों पर खरे नहीं उतर रहे, इससे फिजूलखर्ची बढ़ रही है और जनता को इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है।

किन-किन जिलों का कायाकल्प हुआ ?

गहलोत सरकार में बने जिलों में जयपुर और जोधपुर के दो टुकड़े किए गए थे। साथ ही अनूपगढ,गंगापुरसिटी,कोटपूतली बहरोड़,बालोतरा,जयपुर ग्रामीण,खैरथल,ब्यावर,नीमकाथाना,डीग,जोधपुर ग्रामीण,फलोदी,डीडवाना, सलूंबर,दूदू, केकड़ी,सांचौर,शाहपुरा दूदू को नए जिले की सौगात दी गई थी। गहलोत के तत्कालीन सलाहकार बाबूलाल नागर की जिद की वजह से दूदू राजस्थान का सबसे छोटा जिला बना। ऐसा ही हाल केकड़ी का भी रहा। नए जिले बनने को लेकर अब भी प्रदेश में कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कई जगह जनता नए जिले से बाहर करने के लिए आंदोलन चला रही है।

डीग जिले पर अड़ंगा पड़ेगा भारी!

बीजेपी के कई नेता अपने जिलों को बचाने की मुहिम में जुटे हैं। भरतपुर से अलग कर बनाए गए डीग जिले में गृह राज्यमंत्री जवाहर बेढम की विधानसभा सीट नगर भी आती है। अब गृह राज्यमंत्री बयान दे रहे हैं कि डीग जिले का अस्तित्व बरकरार रहेगा बल्कि बेढम तो डीग के क्षेत्रफल को और बढ़ाने तक की बात कह रहे हैं। संसदीय कार्य और कानून मंत्री जोगाराम पटेल का साफ कहना है कि जिन जिलों की जरूरत नहीं है। उनकी सब कमेटी पूरी समीक्षा करेगी और उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

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