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Kirodi Lal Meena: वचन के पक्के किरोड़ी ‘बाबा’, ठुकराया मंत्री पद
रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई…ये चौपाई आपने अपने बड़े-बुजुर्गों और टीवी-सोशल मीडिया पर खूब सुनी होगी। इसके मायने भी सभी जानते हैं। लेकिन हकीकत में ऐसा करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। इसके लिए इंसान को अपने वचन का पक्का होना होता है। राजनीति में इस चौपाई से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता। लेकिन एक राजनेता ऐसे भी हैं। जिनके बारे में पूरे राजस्थान से लेकर केंद्र तक जानते हैं कि किरोड़ी बाबा अपने वचन के पक्के हैं।
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अपने वचन पर कायम रहे किरोड़ी
भजनलाल सरकार मंत्री मंडल के वरिष्ठ सदस्य डॉ.किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। डॉ.मीणा के इस्तीफे से प्रदेश बीजेपी में खलबली मच गई। पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को पिछले कई दिनों से मनाने की कोशिशे की जा रही थी। लेकिन वो वचन दे चुके थे कि इस्तीफा देंगे। कई जानकारों ने सोचा था कि यह केवल बयानबाजी है लेकिन मंत्री पद से इस्तीफा देकर डॉ. मीणा ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी चौंका दिया।
हाईकमान लेगा आखिरी फैसला
मंत्री पद को ठुकराने वाले डॉ. किरोड़ीलाल मीणा अपने इस्तीफे वाले बयान पर अड़े थे और हुआ भी वही। किरोड़ीलाल मीणा ने इस्तीफा तो दे दिया। लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया। जानकारों की माने तो किरोड़ी बाबा के इस्तीफे पर आखिरी फैसला हाईकमान करेगा। केंद्र में हाईकमान से डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की मुलाकात होनी है। जिस पर सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक भी निगाहें टिकी हुई है।
सियासी शिगुफे, अटकलों पर विराम
प्रदेश में भजनलाल सरकार में मंत्री और पूर्वी राजस्थान के कद्दावर नेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे को लेकर तमाम अटकले लगाई जा रही थी। कोई इसे सियासी शिगुफा करार दे रहा था तो कोई इसे महज एक सियासी स्टंट बता रहा था। इतना ही नहीं विपक्षी दलों के नेता तो ये तक कह रहे थे कि बाबा का इस सरकार में दम घुट रहा है। वो सत्ता पक्ष से संतुष्ट नहीं थे। यहां तक की पिछली कई बैठकों में भी वो शामिल नहीं हुए थे। लेकिन डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए सत्ता संगठन से नाराजगी की बात से इंकार कर दिया। डॉ. किरोड़ी ने कहा कि वो सत्ता में रहे या ना रहे। लेकिन वो जनता के लिए हमेशा काम करते रहेंगे।
‘बाबा’ ने क्या दिया था वचन
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे 7 सीटों की जिम्मेदारी दी थी। इस बार अगर इन सात सीटों में से एक भी सीट हार गए तो मैं कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दूंगा। इन सात में से एक बेहद महत्वपूर्ण सीट जहां किरोड़ी लाल मीणा की खासी पकड़ मानी जाती है दौसा है। जहां से कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा ने बड़ी जीत हासिल की है। उसके बाद से ही विपक्ष हाथ धोकर पीछे पड़ गया था। बार-बार उनको ‘रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई’ चौपाई की याद दिलाई जा रही थी।
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