Table of Contents
भर्ती पर SOG का सबसे बड़ा खुलासा, फर्जी डिग्री से कैसे मिली असली नौकरी?
पूरे देश में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियों को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है। NEET में गड़बड़ी के खुलासे के बाद तो मानो युवाओं का भर्ती परीक्षाओं से विश्वास तक उठ गया है। अगर राजस्थान की बात करे तो प्रदेश में कई भर्ती परीक्षाओं में धांधली का खेल उजागर हो चुका है। अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं में पेपरलीक के सैंकड़ों गुनहगार सलाखों के पीछे जा चुके हैं। अधिकारियों से मिलीभगत कर खुद की जेब गरम करने वालों पर भजनलाल सरकार लगातार एक्शन ले रही है। इन सबके के बीच SOG ने एक बड़े नेक्सस का भंडाफोड़ किया है।
SOG का सबसे बड़ा खुलासा
SOG ने राजस्थान की भर्ती परीक्षाओं में फर्जी डिग्री से असली नौकरी हासिल करने वाले खेल का खुलासा किया है। SOG ने एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के संस्थापक और दूसरी निजी यूनिवर्सिटी के मालिक समेत 3 लोगों को अरेस्ट किया है। SOG-ATS के डीआईजी पारिस देशमुख ने इस बात का प्रेस कॉन्फ्रेंस करके खुलासा किया। देशमुख ने बताया कि सबसे ज्यादा फर्जी डिग्रीयां OPJS यूनिवर्सिटी ने राजस्थान समेत कई राज्यों में बांटी है। हैरानी की बात ये है कि ये फर्जी डिग्री का खेल आज से नहीं बल्कि 2013 से चला आ रहा है। जिसकी किसी को कानो कान ख़बर तक नहीं थी।
2 यूनिवर्सिटी संचालक समेत 3 अरेस्ट
SOG के ADG वीके सिंह को कई यूनिवर्सिटी से विषयों के पाठ्यक्रमों की फर्जी डिग्री और फर्जी खेल प्रमाण पत्र की शिकायत मिली थी। इसके बाद एसओजी ने मामले में केस दर्ज किया। जांच के बाद एसओजी ने तीन अभियुक्त राजगढ चुरू की OPJS यूनिवर्सिटी के मालिक जोगेंद्र सिंह, सनराइज यूनिवर्सिटी(अलवर), एमके विश्वविद्यालय (पाटन, गुजरात) के मालिक जितेंद्र यादव और ओपीजेएस की पूर्व रजिस्ट्रार सरिता कडवासरा को भी अरेस्ट किया। जितेंद्र यादव ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार भी रहा था। उसके बाद उसने पार्टनरशिप में अलवर जिले में सनराइज यूनिवर्सिटी और पाटन में एमके यूनिवर्सिटी खोली। जोगेंद्र बारां में और जितेंद्र अब बूंदी में नई यूनिवर्सिटी खोलने की तैयारी में था।
फर्जी डिग्री से असली नौकरी !
SOG डीआईजी पारिस देशमुख ने बताया कि कई अभ्यर्थी इन डिग्रियों के सहारे राजस्थान सरकार तक में नौकरी कर रहे हैं। राजस्थान ही नहीं बल्कि बिहार, बंगाल, आसाम समेत दूसरे राज्यों में फर्जी डिग्री से सरकारी नौकरी पाई गई है। ये लोग अलग-अलग कोर्स के हिसाब से डिग्री के दाम तय करते थे और सारा पैसा कैश में लेते थे। फर्जी डिग्रियां बांटने के लिए जगह-जगह दलालों का नेटवर्क बिछा हुआ था। जो अपने हिसाब से डिग्रियों का दाम तय करते थे। SOG की जांच में खुलासा हुआ कि कई फर्जी डिग्रीयां बैक डेट में जारी की गई है। मान्यता से पहले ही बीएड और बीपीएड की डिग्रियां भी जारी की गई। बिना मान्यता के एमएससी, एग्रीकल्चर की डिग्रियां बांटी गई।
फर्जी खेल प्रमाण पत्र का खेल
SOG ने खुलासा किया कि फर्जी डिग्रियों के साथ साथ फर्जी प्रमाण पत्र भी जारी करते थे। जबकि खेल प्रमाण पत्र के लिए किसी कॉलेज का स्टूडेंट होना जरूरी है। आरोपी फर्जी तरीके से अभ्यर्थी को अपनी यूनिवर्सिटी में पहले दाखिला देते थे। फिर उसके नाम का खेल प्रमाण पत्र जारी कर देते थे। जिसके बदले में वो अभ्यर्थी से मोटी रकम वसूलते थे। इन फर्जी खेल प्रमाण पत्र के दम पर कई अभ्यर्थियों ने सरकारी नौकरियां हासिल की है। एसओजी ने बताया कि फर्जी प्रमाण पत्र से असली सरकारी नौकरी पाने वालों को भी जांच के दायरे में रखा जाएगा।
अगर आपको ये न्यूज़ पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें. localpatrakar.com को अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद।