Home दंत कथाएं पांडुपोल की पौराणिक कहानी… जहां भीम का घमंड हुआ था चकनाचूर

पांडुपोल की पौराणिक कहानी… जहां भीम का घमंड हुआ था चकनाचूर

by PP Singh
19 views

पांडुपोल की पौराणिक कहानी… जहां भीम का घमंड हुआ था चकनाचूर

ब्यूरो रिपोर्ट लोकल पत्रकार: राजस्थान के सिंह द्वार के नाम से मशहूर अलवर को कौन नहीं जानता। दिल्ली और जयपुर से करीब 150 किलोमीटर दूर मौजूद ये जिला कई किलो, झीलों, हेरिटेज हवेलियों, अभ्यारण और प्रकृति के भंडार के लिए पूरे देश में विख्यात है। लेकिन अलवर में आस्था के कई केंद्र भी मौजूद है। उन्ही में से एक है पांडुपोल हनुमान मंदिर। अलवर शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर सरिस्का के बीचों-बीच मौजूद इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक पांडवों को जब अज्ञातवास मिला था। तो वे यहां से गुजरे थे। पांडव पानी की तलाश में इस जंगल से गुजरे। तो घनी पहाड़ियों में रास्ता बंद हो गया और महाबली भीम ने गदा मारकर पहाड़ को छेद कर पोल कर दिया। उस समय से इसे पांडुपोल कहा जाने लगा।

मान्यताओं के मुताबिक हनुमान जी महाराज इसी जगह पर रास्ते में लेट गए। भीम ने जब उन्हे रास्ते से हटने को कहा तो बुजुर्ग वानर रूप धरे हनुमान जी ने कहा-मेरी पूंछ को एक साइड कर दो मैं बीमार और लाचार हूं। भीम ने लाख कोशिश की पर हनुमान जी की पूंछ को टस से मस तक नहीं कर पाए। हारकर भीम समझ गए कि ये कोई ‘आम'(साधारण) वानर नहीं है। तब जाकर हनुमान जी ने दिव्य स्वरूप में दर्शन दिए। भीम ने सभी पांडव को वहां बुलाकर बुजुर्ग वानर के लेटे हुए रूप में ही पूजा अर्चना की। इसके बाद पांडवों ने वहां हनुमान मंदिर की स्थापना की जो आज पांडुपोल हनुमान मंदिर नाम से मशहूर है। यहीं पर महाभारत कालीन हनुमानजी की लेटी हुई मूर्ति सरिस्का के घने जंगलों में मौजूद है।

यह भी पढ़े | Dharm Aastha: क्या इस चमत्कारी मंदिर के बारे में जानते हैं?

हर मंगलवार और शनिवार को पांडुपोल हनुमान मंदिर में बड़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ये मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है। उसी कालचक्र से यहां हनुमान जी के दर्शन मात्र से लोगों के कष्ट दूर होते गए और मनौती पूरी होने पर यहां पर सवामणि की जाती है। मंदिर महंत बाबूलाल शर्मा ने बताया पिछले दिनों पांडुपोल मेले में अव्यवस्था रही। जिससे देश और विदेश के सैलानियों के आने में परेशानी हुई। 3 महीने तक सरिस्का बाघ अभ्यारण भारी बारिश के चलते बंद रहता है। अभ्यारण खुलने के बाद सैलानियों ने भी हनुमान जी महाराज के दर्शन कर खुशहाली की मन्नत मांगी। पांडुपोल हनुमान मंदिर का मेला अलवर का एक लोकप्रिय मेला है। जो हर साल भादो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भरता है। जहां बड़ी संख्या अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालु आते हैं। कहते हैं कि मंदिर में दर्शन भर करने से सभी की मन्नतें पूरी होती है।

(देश-दुनिया की ताजा खबरें सबसे पहले Localpatrakar.com पर पढ़ें, हमें Facebook, InstagramTwitter पर Follow करें और YouTube पर सब्सक्राइब करें।)

You may also like

Leave a Comment

लोकल पत्रकार खबरों से कुछ अलग हटकर दिखाने की कोशिश है कुछ ऐसा जिसमें ना केवल खबर हो बल्कि कुछ ऐसा जिसमें आपके भी विचार हो हमारी कोशिश को सफल बनाने के लिए बने रहिए लोकल पत्रकार के साथ 🎤🎥

Edtior's Picks

Latest Articles

© Local Patrakar broadcast media . All Rights Reserved.