Home न्यूज़ नामा राजस्थान में नशे का बढ़ता कारोबार: युवाओं की नसों में जहर, क्या होगा इसका अंत? | Drug Business in Rajasthan

राजस्थान में नशे का बढ़ता कारोबार: युवाओं की नसों में जहर, क्या होगा इसका अंत? | Drug Business in Rajasthan

by PP Singh
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Drug Business in Rajasthan

राजस्थान में नशे का बढ़ता कारोबार: युवाओं की नसों में जहर, क्या होगा इसका अंत? | Drug Business in Rajasthan

ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार। साल 2016 में एक फिल्म आई थी…उड़ता पंजाब । जिसके गाने हर किसी की जुबां पर रट चुके थे। इस फिल्म में पंजाब में नशे के पूरे नेक्सेस को दिखाया गया था। कैसे युवाओं को नशे की लत दी जाती है। युवा नशे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही अब हो रहा है पंजाब के पड़ोसी राज्य राजस्थान में भी। हम आपको बताते हैं।

  • देश में नशे के सौदागरों का नेक्सेस
  • 21 हजार करोड़ से ज्यादा की एमडी ड्रग्स
  • राजस्थान बॉर्डर तस्करों का पसंदीदा अड्डा
  • युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही ‘पुड़िया’
  • स्कूल-कोचिंग सेंटर, कॉलेज के पास मिल रही ड्रग्स !

जीहां सही सुना आपने राजस्थान नशे के सौदागरों का पसंदीदा अड्डा बन चुका है। यही वजह है कि पूरे देश में सबसे ज्यादा नशे की चीजे और उन्हे सप्लाई करने वाले तस्कर राजस्थान में दबोचे गए हैं। अबतक 100 किलो ग्राम से ज्यादा हेरोइन जब्त की जा चुकी है। जिसकी इंटरनेशनल मार्केट में कई हजार करोड़ में कीमत है। ये तो वो अमाउंट है जो अबतक पकड़ा जा चुका है। ना जाने कितनी सप्लाई की जा चुकी है और कब से सप्लाई की जा रही है। ये किसी को नहीं पता। राजस्थान के युवा नशे के सौदागरों के निशाने पर है। युवाओं में लगातार नशे की लत बढ़ती जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से टच होने की वजह से राजस्थान में आए दिन हेरोइन के पैकेट मिलने की ख़बरे आती है। कभी ड्रोन के जरिए बॉर्डर एरिया में स्मैक के पैकेट मिलते हैं। तो कभी चेकिंग के दौरान ड्रग्स की खेप के साथ तस्कर पकड़े जाते हैं। बची कसर अब नशे की गोलियां पूरी कर रही है।

राजस्थान में स्टूडेंट्स को सॉफ्ट टारगेट बनाया जा रहा है। पहले सैंपल के तौर पर दिया जाता है। नशेड़ियों को तैयार किया जाता है। फिर नशे का कारोबार किया जा रहा है। कोचिंग हब कहे जाने वाले कोटा और सीकर में तो कोचिंग स्टूडेंट को नशा माफिया अपना शिकार बना रहे हैं। कहीं कंसंट्रेशन के नाम पर बेचा जा रहा है। तो कहीं महज 500 रुपए में गली-गली में स्मैक बिक रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जोधपुर में तो ऑनलाइन पेमेंट कर ड्रग्स की होम डिलीवरी की जा रही थी। जोधपुर के स्कूल-कोचिंग सेंटरों के पास धड़ल्ले से एमडी ड्रग्स-स्मैक मिल रही है। तो सोचिए गांजा और डोडा चूरा तो घूमते-फिरते थड़ी वालों के पास ही मिल जाता होगा।

ऐसा नहीं है कि पुलिस नशे के सौदागरों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रही। हालही में पुलिस ने नारकोटिक्स और सीबीआई के साथ ज्वाइंट ऑपरेशन में इनके नेक्सेस को ब्रेक भी किया है। लेकिन फिर भी युवाओं में बढ़ती नशे की लत, डिमांड और सप्लाई को रोकने में अब भी सरकारी तंत्र पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया है। युवाओं की नसों में नशा और नशे का कारोबार राजस्थान में इस कदर फैल चुका है कि उसे रोक पाना मानों नामुमकिन है। ऐसे में बड़ा सवाल ये भी उठता है कि कहीं स्टूडेंट्स के सुसाइड के पीछे ये नशों के सौदागरों का नेक्सेस तो नहीं। बीड़ी-सिगरेट और गुटखे के साथ इतनी आसानी से कैसे मिल सकती है नशे की पुड़िया। क्या बिना पुलिस की मिलीभगत के ये मुमकिन है। क्या नशे के सौदागरों के आगे हम अपना इमान और इंसानियत दोनों बेच चुके हैं। ये वो सवाल है जो हर मां-बाप, देश का हर नागरिक पूछ रहा हैं। क्या सिर्फ नशा मुक्ति केंद्र भर से हम राजस्थान को नशा मुक्त प्रदेश बना पाएंगे। हमें, पुलिस और सियासतदानों को ये सोचना और समझना होगा कि नशा ना सिर्फ शरीर को खोखला करता है बल्कि कई पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देता है।

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