Table of Contents
Dausa Rajasthan:
राजस्थान के दौसा जिले से 40 किलोमीटर दूर बरवा की डूंगरी की तलहटी में स्थित है नारायणी माता का मंदिर। इस मंदिर की कहानी और यहाँ पहाड़ों से आ रहे पानी को लेकर भी रहस्यमय बातें बताई जाती हैं। नारायणी माता का मंदिर भारत के प्रसिद्ध तीर्थों में से एक है। यहां मंदिर के लिए कहा जाता है कि यह एक सती माता का मंदिर है, लेकिन आज इस मंदिर में ऐसी शक्ति है कि लोग इसे सती नहीं शक्ति के नाम से जानते हैं। यह मंदिर हजारों साल पुराना है और यहां पर मंदिर की मूर्ति के नीचे से आज भी पानी की धारा लगातार बहती रहती है। जिसे लोग गंगा के पानी के नाम से जानते हैं।
कहाँ से आता है पानी किसी को नहीं पता
नारायणी माता मंदिर के सामने यह एक रहस्यमयी पानी की धारा है। मंदिर अरावली की पहाड़ियों के बीच में बना हुआ है। मंदिर के चारों ओर आपको पहाड़ियां ही पहाड़ियां नजर आएंगी। सावन के महीने में यहां पर बहुत ज्यादा हरियाली रहती है।
इस मंदिर से निकलने वाले पानी की धारा के लिए कहा जाता है कि यह गंगा का पानी है, गंगा का रूप है जो आज भी यहां पर लगातार बह रहा है। सावन के महीने में यहां से बहने वाले गंगाजल को लोग कावड़ में लेकर जाते हैं। यहां पर दूर-दूर से कावड़ लेने के लिए लोग आते हैं और कावड़ ले जाकर शिवालय में जलाभिषेक करते हैं। यहां पर आने वाली पानी की धारा हजारों सालों से लगातार बह रही है। यह पानी कहाँ से आ रहा है इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया।
सती ने दिया था वरदान
बताया जाता है कि नारायणी माता जब सती हो रही थी तो आसपास के गांव वालों ने उन्हें रोकने का काफी प्रयास किया। उनकी भक्ति से खुश होकर नारायणी माता ने कोई वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर गांव वालों ने पानी की कमी के चलते पानी की जरूरत बताई। नारायणी माता ने कहा कि इस चिता में से लकड़ी उठाकर जितनी दूर तक भाग सकते हैं भाग जाओ, उतनी दूर तक पानी ही पानी हो जायेगा। इस पर ग्रामीण चिता से लकड़ी लेकर 3 किलोमीटर तक भागे, लेकिन शक होने पर एक जगह रुक कर पीछे देखने लगे, वहीं वो पानी रुक गया। आज भी ये पानी पहाड़ियों से लगातार आ रहा है।
पानी से दूर होता है चर्म रोग
नारायणी माता के सामने कुंड में पहाड़ों से हजारों सालों से लगातार पानी आ रहा है। यहां पर पानी की धारा में आज भी कोई कमी नहीं आई है। यहां के पानी के लिए कहा जाता है कि इससे कई प्रकार के चर्म रोग और बीमारियां दूर होती हैं। मान्यता है कि यहां पर चर्म रोग की बीमारियों से पीड़ित लोग दूर-दूर से आते हैं और यहां के बहने वाले जलधारा में नहाते हैं। वह अपने चर्म रोगों पर पानी लगाते हैं, जिससे उनकी यह बीमारी दूर हो जाती है