Home दंत कथाएं Dharma Aastha: यहाँ तंत्र साधना की भस्म से बनी गणेश मूर्ति, उल्टा स्वास्तिक बनाने से बनते हैं बिगाड़े काम

Dharma Aastha: यहाँ तंत्र साधना की भस्म से बनी गणेश मूर्ति, उल्टा स्वास्तिक बनाने से बनते हैं बिगाड़े काम

by PP Singh
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Dharma Aastha

Dharma Aastha: यहाँ तंत्र साधना की भस्म से बनी गणेश मूर्ति, उल्टा स्वास्तिक बनाने से बनते हैं बिगाड़े काम

तंत्र मंत्र की साधना अधिकांशतः माता जी या भेरुजी से जुड़ी होती है और तंत्र मंत्र की काट की बात हो तो सबको श्री राम भक्त हनुमान जी की याद आती है। लेकिन क्या अपने कभी सुना है कि भगवान गणेश जी की भी तंत्र मंत्र की उपासन की जा सकती है। जी हाँ, राजस्थान के जयपुर में ही एक ऐसा भगवान गणेश का मंदिर है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा की तंत्र मंत्र के साथ हवन की राख के साथ की गई है। जयपुर के नाहरगढ़ किले की पहाड़ी के तलहटी में नहर किनारे बने होने के कारण इन्हें नहर के गणेश जी कहा जाता है।

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250 साल पुराना इतिहास –

नहर के गणेश मंदिर जयपुर में स्थित एक अनोखा मंदिर माना जाता है। करीब 250 साल पुराना गजानन की सूंड दाहिनी की है और दक्षिणमुखी भगवान गणेश विराजे हैं।नहर के गणेश जी को पारंपरिक राजशाही जरी की पोशाक धारण कराई जाती है। रत्न और गोटा-पत्ती जड़ी इस पोशाक का वजन 20 किलो है। पोशाक का निर्माण एक महीने पहले से शुरू करा दिया जाता है। यह पोशाक विशेष कारीगरों द्वारा बनाई जाती है। पुराने समय से ही जरी की पोशाक को जयपुरी शान माना जाता है।

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तंत्र साधना की भस्म से की प्राण प्रतिष्ठा –

जयपुर के तंत्र साधना करने वाले ब्रह्मचारी बाबा द्वारा किए गए यज्ञ की भस्म से भगवान गणेश का ये विग्रह व्यास राम चंद्र ऋग्वेदी ने प्राण प्रतिष्ठित किया। आज भी उनकी पीढ़ी यहां पूजा-आराधना कर रही है। यहां दाहिनी तरफ सूंड और दक्षिणा विमुख भगवान गणेश पूजे जाते हैं। इस तरह की प्रतिमा तंत्र विधान के लिए होती है। ब्रह्मचारी बाबा तंत्र गणेश जी के उपासक थे और नियमित भगवान गणेश की आराधना करते थे। कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने मैल से विनायक के विग्रह को बनाकर उसमें प्राण फूंके थे। यही वज़ह है कि आज भी मांगलिक कार्यों में मिट्टी से बने हुए गणेश जी ही स्थापित किए जाते हैं। उसी तरह ब्रह्मचारी बाबा ने यज्ञों में दी गई आहुति से तैयार हुई भस्म रूपी मिट्टी से भगवान गणेश का विग्रह तैयार किया।

उल्टा स्वास्तिक बनाने की परम्परा –

यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने की भी बड़ी मान्यताएं है। कहा जाता है यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने से लोगों के सारे बिगड़े काम बनने शुरू हो जाता हैं। हालांकि मंदिर के पुजारी ऐसी किसी भी धार्मिक मान्यता से इनकार करते हैं । मंदिर प्रशासन ने कभी उलटा स्वास्तिक नहीं बनाया।ऐसा कहा जाता है कि इससे कई भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हुई, जिसके बाद से यहां आने वाले भक्त उलटा स्वास्तिक बनाते हैं।

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