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भारत में टूथपेस्ट से लेकर मंदिर के प्रसाद में भी मिलावट, चीन – जापान में फांसी की सजा….यहाँ उम्रकैद, पर किसी को हुई..?

by PP Singh
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भारत में टूथपेस्ट से लेकर मंदिर के प्रसाद में भी मिलावट, चीन – जापान में फांसी की सजा….यहाँ उम्रकैद, पर किसी को हुई..?

एक जमाना था जब भारत के लिए कहा जाता था कि यहाँ दूध और घी की नदियां बहा करती हैं। पर अब दूध और घी से लेकर छोटे बड़े सामान, यहाँ तक कि टूथपेस्ट तक में मिलावट वाली नदी पहुंच गई है। देश में फिलहाल सबसे बड़ा मुद्दा आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर का बना हुआ है। जहाँ प्रसाद के लड्डू में मिलावट ने सबको हैरान कर दिया है। इस मंदिर में प्रसाद में भक्तों को दिए जाने वाले लड्डूओं में नकली घी और एनिमल फैट मिलाए जाने की खबरों के बीच विवाद तेज होता जा रहा है।

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे पड़ोसी देशों में मिलावट को लेकर कड़ा कानून है। मिलावट करने वालों को फांसी की सजा यानी मृत्यु दंड तक दिया जा चुका है। ऐसे में इन देशों में मिलावट वालों में एक भय बना हुआ है। भारत की अपेक्षा वहाँ मिलावट की गुंजाइश काफी कम है।

चीन – जापान जैसे देशों में है फांसी की सजा –

2009 चीन में ज़ांग युजुन और गेंग ज़िनपिंग के आरोपियों को दूध पाउडर में विषैले पदार्थ की मिलावट करने की वजह से मौत की सजा दे दी गई थी। इस मिलावट के कारण चीन में 6 नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी और तक़रीबन 3 लाख अन्य बीमार पड़ गए थे। जापान, अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी मिलावट करने वालों के लिए मृत्यु दंड तक निर्धारित है।

1202 में इंग्लैंड के राजा लाये थे पहला खाद्य कानून –

1202 में, इंग्लैंड के राजा जॉन ने पहला अंग्रेजी खाद्य कानून, असाइज़ ऑफ़ ब्रेड घोषित किया, जिसमें पिसी हुई मटर या बीन्स जैसी सामग्री के साथ ब्रेड में मिलावट को प्रतिबंधित किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में खाद्य पदार्थों का विनियमन औपनिवेशिक काल से ही शुरू हुआ है।

भारत में उम्रकैद, पर किसी को हुई नहीं

भारत में भी कई राज्यों ने आपने कानून में सुधार कर मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया है। मिलावट करने वालों को न्यूनतम 6 माह और अधिकतम उम्रकैद की सजा के साथ 10 लाख रूपए तक के जुर्माने जैसे प्रावधान हैं। लेकिन मिलावट करने पर किसी को उम्रकैद हुई हो, ऐसा ध्यान नहीं आता।

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तिरुपति मंदिर को लेकर क्या है पूरा विवाद

सीएम चंद्रबाबू नायडू सरकार की तरफ से एक रिपोर्ट भी जारी की गयी। जिसमें दावा किया गया कि तिरुपति मंदिर में जो लड्डू श्रद्धालुओं को बांटने के लिए तैयार किए जाते हैं, उनमें मिलाए गए घी में 3 अलग-अलग जानवरों की चर्बी पायी गयी है। जो घी इन लड्डूओं को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है वह मिलावटी है और उसमें फॉरिन फैट मिलाया गया है। इस मिलावटी घी में भैंस की चर्बी, फिश ऑयल और सूअर की चर्बी जैसे एनिमल फैट की मिलावट की बात कही गयी है।

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