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झुंझुनूं: चिता से जिंदा लौटा युवक, डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही

by PP Singh
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झुंझुनूं

झुंझुनूं: चिता से जिंदा लौटा युवक, डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही

ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार: झुंझुनूं जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका दिया। श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए लेटे युवक के शरीर में अचानक हलचल हुई और उसकी सांसें चलने लगीं। यह घटना गुरुवार की है। लेकिन, 12 घंटे बाद जयपुर के अस्पताल में उसकी मौत हो गई। इस मामले में लापरवाही के आरोप में तीन डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया है।

डॉक्टरों की बड़ी गलती

यह मामला झुंझुनूं जिले के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल भगवान दास खेतान (BDK) से जुड़ा है। गुरुवार दोपहर को एक मूक-बधिर युवक, जिसका नाम रोहिताश (25) था, को तबीयत खराब होने के कारण अस्पताल लाया गया। लेकिन कुछ ही मिनटों में डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।

मॉर्च्युरी से श्मशान घाट तक की कहानी

रोहिताश को मृत घोषित करने के बाद उसकी बॉडी को मॉर्च्युरी के डीप फ्रीजर में करीब 2 घंटे तक रखा गया। शाम करीब 5 बजे, जब श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तो अचानक उसकी सांसें चलने लगीं और शरीर में हलचल होने लगी।

लोगों का डर और तुरंत इलाज

श्मशान घाट पर मौजूद लोग यह देखकर डर गए। तुरंत एम्बुलेंस बुलाई गई और रोहिताश को फिर से बीडीके हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां से उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया।

लापरवाही के बड़े सवाल

  1. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का मामला:
    सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर रोहिताश जिंदा था, तो उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट कैसे बनाई गई?

    • पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखा गया कि मौत फेफड़ों के फेल होने और टीबी या सीओपीडी जैसी बीमारी से हुई।
    • रिपोर्ट पर डॉक्टर नवनीत मील के हस्ताक्षर और सील मौजूद हैं।
  2. डॉक्टरों की भूमिका:
    • डॉ. योगेश कुमार जाखड़: इन्होंने मरीज को सबसे पहले देखा और मृत घोषित कर दिया।
    • डॉ. नवनीत मील: इन्होंने पोस्टमार्टम किया और रिपोर्ट तैयार की।
    • डॉ. संदीप पचार: मामले को सीनियर अधिकारियों से छिपाने का आरोप।

जिला प्रशासन का कदम

जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा ने घटना की गंभीरता को देखते हुए रात में ही कार्रवाई की।

  • डॉ. योगेश जाखड़, डॉ. नवनीत मील, और डॉ. संदीप पचार को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया।
  • निलंबन के दौरान डॉक्टरों को अलग-अलग जिलों में स्थानांतरित कर दिया गया है।

यह घटना डॉक्टर्स की लापरवाही को उजागर करती है और यह सवाल उठाती है कि मरीजों की सही जांच और देखरेख पर कितना ध्यान दिया जा रहा है।

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