हरियाणा में खिला कमल, अब राजस्थान की बारी…
ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार: जम्मू कश्मीर में बेशक बीजेपी जीत नहीं दर्ज कर पाई। लेकिन पड़ोसी राज्य हरियाणा में कमल खिल ही गया। अब बारी है राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की। जिस पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों खेमों की निगाहे टिकी हुई है। बीजेपी को उम्मीद है कि हरियाणा चुनाव का असर राजस्थान में भी दिखाई देगा। हरियाणा चुनाव के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा समेत कई बीजेपी नेताओं ने बतौर स्टार प्रचारक बनकर खूब प्रचार प्रसार किया था।
राजस्थान में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष रह चुके सतीश पूनिया को हरियाणा प्रभारी का जिम्मा मिला था। जो उन्होने बखूबी निभाया भी। हरियाणा में बीजेपी की जीत के पीछे सतीश पूनिया का बड़ा और अहम योगदान बताया जा रहा है। हरियाणा का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प था। शुरुआती रूझानों में कांग्रेस को बढ़त मिलती दिखी। लेकिन आखिर में बीजेपी ने पासा ही पलट डाला और जीत अपने नाम की। कयास लगाए जा रहे हैं कि हरियाणा में हुंकार भरने वाले सतीश पूनिया को अब झुंझुनूं विधानसभा सीट से उपचुनाव का मौका दिया जा सकता है। क्योंकि अलवर और झुंझुनूं हरियाणा के बॉर्डर से टच होते हुए जिले हैं। जहां हरियाणा की भावनाओं का सीधा असर दिखाई भी देता है।
चुनाव हरियाणा में हुए लेकिन शोर राजस्थान तक सुनाई दे रहा है। आलम ये है कि नतीजे आने के बाद भी प्रदेश में दोनों ही दल एक दूसरे पर जमकर आरोप मढ़ रहे हैं। बीजेपी कांग्रेस के नेताओं को नसीहत दे रही है कि वो हरिद्वार जाकर अपने पापों का प्रायश्चित करे। तो कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि राजस्थान में बीजेपी की हार निश्चित है। मौजूदा दौर में बीजेपी की सरकार के कामकाज से जनता त्रस्त है और उनके हाथ कुछ नहीं लगने वाला है। पड़ोसी राज्य होने के नाते राजस्थान से कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं की सक्रियता हरियाणा चुनाव में अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा थी। राजस्थान के विधानसभा उपचुनाव में जीत उसी को मिलेगी जिसकी स्ट्रेटजी, इंप्लीमेंटेशन और मैनेजमेन्ट बेहतर होगा।
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