Rajasthan desert : राजस्थान में आखिर सूखा और रेगिस्तान क्यों है…
क्या आप जानते हैं, चलिए हम आपको बताते हैं, दरअसल जिस रेगिस्तान को आप अभी राजस्थान में देखते हैं वहां सर्दियों पहले विशाल समुद्र था। जी हां, यह जानकर आप भी हैरत में पड़ गए ना।लेकिन आप हमारे देश के पश्चिमी भूभाग पर जाएंगे तो आपको वहां रेगिस्तानीमिट्टी के साथ साथ बड़ा पहाड़ और कई विशालकाय चट्टानें दिखाई देगी। जिनमें आज भी समुद्री अवशेष नज़र आएंगे। जो इस बात की गवाई देते नजर आते हैं कि यहां कभी पानी हुआ करता था।
इस बात की पुष्टि रामायण जैसे ग्रंथों से भी होती है। भगवान राम ने चलाया था यहां तीर रामायण में बताया गया है कि जब भगवान श्री राम अपनी सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करने को तैयार थे, तब उनके सामने विशाल समुद्र था। ऐसे में उनकी सेना लंका तक कैसे पहुंच पाती। इसी को लेकर भगवान श्री राम समुद्र देव से 3 दिनों तक उन्हें और उनकी सेना को लंका जाने के लिए रास्ता देने का निवेदन करते रहें। लेकिन 3 दिनों में भी समुद्र देव ने उनका निवेदन स्वीकार नहीं किया, ऐसे में क्रोथ में आकर भगवानश्रीराम ने अपना धनुष उठा लिया और पूरा समुद्र सूखाने के लिए तीर चलाने को तैयार हो गए..इससे भयभीत होकर समुद्र देव बाहर निकले हो श्रमा मांगने लगे। यही नहीं समुद्र देव ने उन्हें नल और नील की मदद से पुल बनाने की सलाह भी दी। जिस पर भगवान श्रीराम ने उन्हें श्रमा तो कर दिया पर एक बार धनुष पर चढ़े तीर को वापस लेने से इनकार कर दिया। जिस पर भायभीत समुद्र देव ने उन्हें अपना तीर पश्चिम में चलाने के लिए बोला। माना जाता है कि वो तीर भारत के पश्चिमी क्षेत्र में जाकर लगा,जहां पानी का विशाल भण्डार सूख गया। जिसे आज हम रेगिस्तान के रूप में देखतेहैं।
कच्छ का रण भी है हिस्सा :
गुजरात के कच्छ का रण भी रेगिस्तान का वही हिस्सा है। यहां भी कभी विशाल जल प्रवाह होने के प्रतीक मिलते हैं। लेकिन भगवान श्री राम के उस तीर ने यहां भी जल का भण्डार खत्म कर दिया। रामायण में कई राज रामायण जब आप पड़ते हैं तो आपने देखा होगा कि वनवास के दौरान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ पूर्व से दक्षिण दिशा में जाते हैं। यह भी सोचने की बात है की आखिर भगवान श्री राम ने पश्चिम से दक्षिण की और जाने का रास्ता क्यों नहीं चुना। ऐसे शायद इसलिए हुआ होगा क्योंकि पश्चिम क्षेत्र में जल का विशाल प्रवाह होगा। हालाकि इस बात का काई तथ्यात्मक प्रमाण तो नहीं है, लेकिन रामायण में उल्लेख और रेगिस्तान में पाए जाने वाले अवशेष इस और संकेत करते हैं।