Udaipur temple : झीलों की नगरी उदयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर झाड़ोल तहसील में आवारगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित है।
हमारे देश में अनेक ऐसे मंदिर हैं जो अनोखे और विचित्र हैं। देवी देवताअें के मंदिरों के बारे में आपने खूब सुना होगा। वहीं लंकेश रावण के मंदिर के बारे में भी आपने सुना होगा। श्रीलंका में रावण के कई मंदिर हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में भी लंकेश रावण की पूजा की जाती है। हालाकी यह मंदिर भगवान शिव का समर्पित है, लेकिन भगवान शिव से पहले यहां उनके सबसे बड़े भक्त रावण की उनसे पहले पूजा की जाती है।
रावण ने की थी स्थापना
झाड़ोल के आवारगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर को कमलनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है। उदयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर झाड़ोल के आवारगढ़ की पहाड़ियों पर यह मंदिर स्थित है। पुराणों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना खुद लंकापति रावण ने की थी। कहते हैं कि यही वह स्थान है जहां रावण ने अपना सिर काटकर भगवान शिव को अग्निकुंड में समर्पित कर दिया था। तब रावण की इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण की नाभि में अमृत कुण्ड स्थापित किया था।
भगवान शिव से पहले रावण की होती है पूजा
इस स्थान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां भगवान शिव से पहले उनके सबसे बड़े भक्त रावण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि शिवजी से पहले अगर रावण की पूजा नहीं की जाए तो सारी पूजा व्यर्थ जाती है।
दूसरी कहानी ये भी है
पुराणों में कमलनाथ महादेव की एक और कहानी है। जिसमें उल्लेख है कि एक बार रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचा और तपस्या करने लगे। उसके कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण से वरदान मांगने को कहा। तब रावण ने भगवान शिव से लंका चलने का वरदान मांग लिया। भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में उसके साथ जाने को तैयार हो गए।
भगवान शिव ने रखी यह शर्त
भगवान शिव ने रावण को एक शिवलिंग दिया और यह शर्त रखी कि अगर लंका पहुंचने से पहले तुमने शिवलिंग को धरती पर रखा तो मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा। लेकिन देवताओं को इस बात की चिंता हो गई कि अगर भगवान शिव लांका चले जाएंगे तो रावण को कोई भी हरा नहीं पाएंगा। जिसपर भगवान श्रीगणेश रास्ते में पहुंचे और अपनी युक्ति लगाकर शिवलिंग को जमीन पर रखावा दिया। कमलनाथ महादेव वहीं शिवलिंग है।