Home दंत कथाएं Aurangzeb ने यहां चढ़ाई थी स्वर्ण प्रतिमा..!

Aurangzeb ने यहां चढ़ाई थी स्वर्ण प्रतिमा..!

by PP Singh
20 views

Aurangzeb ने यहां चढ़ाई थी स्वर्ण प्रतिमा..!

यह बात सही है कि भारत में मुग़लो ने आकर देश की धार्मिक और ऐतिहासिक ईमारतों को तोड़ा है। लेकिन सनातन धर्म और उसके देवी देवताओं के चमत्कार के आगे मुगल राज ने भी सर झुकाया है। राजस्थान में भी एक माता के चमत्कार के आगे मुगल बादशाह Aurangzeb को सेना सहित झुकने पर मजबूर होना पड़ा था। यह मंदिर सीकर के पास जयपुर रोड पर मौजूद है। इन्हे जीण माता के नाम से जाना जाता है।

तांत्रिकों की साधना का केंद्र था जीण माता मंदिर

देश के प्राचीन शक्तिपीठों में से एक जीण माता मंदिर दक्षिणमुखी है। मंदिर की दीवारों पर तांत्रिकों की मूर्तियां लगी हैं, जो बताती हैं कि पहले कभी ये तांत्रिकों की साधना का केंद्र रहा होगा। मंदिर के अंदर जीण भगवती की अष्टभुजी प्रतिमा है। पहाड़ के नीचे स्थित मंडप को गुफा कहा जाता है।

साथ ही यहां महात्मा का तपोस्थान भी मौजूद है और इसे श्रद्धालु धुणा के नाम से जानते हैं। मंदिर के अंदर आठ शिलालेख स्थापित हैं। मंदिर को आठवीं सदी में निर्मित माना जाता है। यहां मौजूद सबसे पुराना शिलालेख संवत 1029 का है।

मान्यताओं के मुताबिक जीण माता ने राजस्थान के चूरू में घांघू गांव के एक राजघराने में जन्म लिया था। इन्हें मां शक्ति का अवतार माना गया और उनके बड़े भाई हर्ष को भगवन शिव का अवतार कहा जाता है। कथाओं के मुताबिक एक बार दोनों भाई-बहन के बीच विवाद हुआ और मां ने इस स्थान पर आकर तपस्या शुरू कर दी।

बहन के रूठ जाने से परेशान भाई हर्ष भी पीछे-पीछे यहां पहुंच गए और बहन को मनाने की तमाम कोशिश की लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी। इसके बाद वो भी पास के ही एक स्थान पर तपस्या करने लगे। इस स्थान पर अरावली की पहाड़ियों के बीच हर्षनाथ का मंदिर है।

मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना ने जब शेखावटी के मंदिरों में तोड़फोड़ शुरू की, तो लोगों ने मां जीणमाता से गुहार लगाई। मां ने अपने चमत्कार से औरंगजेब की सेना पर मधुमक्खियों की विशाल सेना छोड़ दी, जिससे लहूलुहान होकर औरंगजेब के सैनिक भाग खड़े हुए।

मान्यता है कि औरंगजेब ने मां से क्षमायाचना की और मंदिर में अखंड दीप के लिए तेल भेजने का वचन दिया। फिर बाद में दिल्ली से और फिर जयपुर से दीपक के लिए तेल की व्यवस्था की जाती रही। इस चमत्कार के बाद जीणमाता भंवरों की देवी कही जाने लगीं।

मुगल बादशाह ने प्रभावित होकर मंदिर में मां की स्वर्णमूर्ति भेंट की थी, जिसके बाद से आज भी मंदिर में स्वर्णछत्र चढ़ाए जाते हैं। कुष्ठरोगियों के लिए यहां बड़ी मान्यता है कि ये लोग दर्शन मात्र से स्वस्थ हो जाते हैं।

हमें उम्मीद है कि आपको इस आर्टिकल से अच्छी जानकारी मिली होगी, इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि उन्हें भी अच्छी जानकारी मिल सके।

You may also like

Leave a Comment

लोकल पत्रकार खबरों से कुछ अलग हटकर दिखाने की कोशिश है कुछ ऐसा जिसमें ना केवल खबर हो बल्कि कुछ ऐसा जिसमें आपके भी विचार हो हमारी कोशिश को सफल बनाने के लिए बने रहिए लोकल पत्रकार के साथ 🎤🎥

Edtior's Picks

Latest Articles

© Local Patrakar broadcast media . All Rights Reserved.