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Lok Sabha Election 2024 : यह आंकड़े कुछ कहते हैं … 4 चरणों के लिए मतदान पूरा… 3 फेज़ अभी बाकी।
देश में लोकसभा चुनावों के चौथे चरण के लिए मतदान हो चुके है। आंकड़ो के मुताबिक वोटिंग चौथे फेज में 63 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। लेकिन पश्चिमी बंगाल में ही आंकड़ा 75% से भी ज्यादा गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो जहां पर वोटिंग परसेंटेज बढ़ता है, वहां बदलाव के आसार देखे जा सकते हैं ।
लेकिन एमपी में कुल मतदान 71. 70 फीसदी रहा है। जो पिछली बार से कम है। पिछली बार 2019 में एमपी वोटिंग परसेंटेज 76% से भी ज्यादा गई थी। वहीं राजस्थान की बात की जाए तो तो यहाँ भी 2019 के मुकाबले वोटिंग कम हुई।राजस्थान में 62.10 फीसदी वोट डाले हैं। यह केवल दो प्रदेशों के आंकड़े हैं । लेकिन इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां पर लोकसभा चुनाव के मध्य नजर लोगों में वोट डालने का उत्साह कम रहा। लेकिन पश्चिमी बंगाल में वोटिंग परसेंट का बढ़ता आंकड़ा परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है।
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वोटिंग परसेंट घटना का मतलब ?
पहले 2014 फिर 2019 में देश के मतदातो ने लोकसभा चुनावो में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। लेकिन अब 2024 में लगातार वोटिंग का ग्राफ घटता जा रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार चुनावों में वोटर्स का उत्साह कम रहा। ये सीधा इशारा करता है कि केंद्र सरकार से लोगों ज्यादा खुश नहीं, पर वोटिंग प्रतिशत का ग्राफ बढ़ा भी नहीं है, जिससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि वोटर के सामने दूसरी कोई पार्टी का विकल्प भी नहीं हैं। शायद यही वजह रही की वोटर घर से बाहर निकाल के मतदान केंद्र तक पहुंचे ही नहीं ।
उत्तरी राज्यों में सीएम का फेस बदलने का असर ..!
लोकसभा चुनाव से पहले भारत में पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए थे। अधिकांश में जीत भारतीय जनता पार्टी की हुई। और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में तुरंत प्रभाव से अपने सभी पुराने नेताओं को बदलते हुए नए चेहरे को सीएम बना दिया। बीजेपी ने ऐसे चेहरों को मुख्यमंत्री पद पर आसीन किया जिनकी खुद की कोई ज्यादा लोकप्रियता नहीं थी। एक राज्य तो ऐसा भी है, जहां पर मुख्यमंत्री बने नेता ने पहले बार विधायक का चुनाव लड़ा था। ऐसे में जहीर है कि सभी राज्यों में लोकप्रिय कोई फेस नहीं होने की वजह से या फिर यह कहे की लोगों में नाराजगी होने की वजह से वोटर्स ने बीजेपी की केंद्र सरकार का ज्यादा सपोर्ट नहीं किया।
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कांग्रेस को मिलेगा फायदा !
लोकसभा चुनाव में अभी तक हुई काम वोटिंग का फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को मिलेगा यह कहना भी जल्दबाजी होगी। हालांकि यह बात सही है कि राजनीतिक विशेषज्ञ मानते है कि काम वोटिंग परसेंटेज सत्ता में बैठी पार्टी को नुकसान पहुंचता है। साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की वोटिंग परसेंटेज में जिनका आंकड़ा बड़ा है वह अल्पसंख्यक समुदाय से नाता रखने हैं। जिसमें सबसे ज्यादा वोट मुसलमान के पड़े हैं। जो की पहले से ही कांग्रेस के वोट बैंक के माने जाते हैं। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं की जा सकता है कि पिछले दिनों से ही केंद्र की मोदी सरकार लगातार मुस्लिम वोटर्स को लुभाने में लगी हुई थी। ऐसे में यह का देना कि मुस्लिम समुदाय के सभी वोट कांग्रेस को पड़े हैं यह भी गलत होगा। हालांकि अभी पूरे देश में तीन चरणों में चुनाव होना बाकी है। जिसका परिणाम 4 जून को सबके सामने आएगा।
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