Home दंत कथाएं Dharma Aastha: यहाँ है एक कुत्ते का मंदिर, लोगों करते है इसकी पूजा!

Dharma Aastha: यहाँ है एक कुत्ते का मंदिर, लोगों करते है इसकी पूजा!

by PP Singh
141 views

Dharma Aastha: यहाँ है एक कुत्ते का मंदिर, लोगों करते है इसकी पूजा!

भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई तरह के देवी देवताओं की पूजा की जाता है। जिसमें नदी, अग्नि, पेड़, पर्वत भी शामिल हैं। यहाँ अटक की आपने नागों का मंदिर भी देखा और उसके बारे में सुना होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो पुजे जाने अपने देवता के कारण अनोखी खासियत रखता है। विभिन्न संस्कृती और मान्यताओं वाले भारत के छत्तीसगढ़ में एक ऐसा ही अनोखा मंदिर है। जहां कुत्ते की पूजा की जाती है। इस मंदिर के निर्माण की कहानी भी बड़ी रोचक है और लोगों की इसमें गहरी आस्था है। यहां आने वाला हर शख्स मंदिर में सिर झुकाने जरूर आता है।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिला मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर खपरी गांव में स्थित है। इस प्राचीन मंदिर को कुकुरदेव मंदिर से भी जाना जाता है। क्योंकि यह मंदिर किसी देवता को नहीं बल्कि कुत्ते को भी समर्पित है।

ये भी पढ़े:- Dharma Aastha: सौर मंडल में मौजूद हैं नव विवाहितों के लिए आदर्श ये दो तारे

एक स्मारक से बना मंदिर कुकुर देव मंदिर

यह कुकुर देव मंदिर वास्तव में एक स्मारक था। जिसे एक वफादार कुत्ते की याद में बनाया गया, बाद में इसे एक मंदिर का रूप दे दिया गया और धीरे धीरे यह मंदिर लोक आस्था से जुड़ गया। इस मंदिर के पीछे एक बंजारे और उससे पालतू कुत्ते की कहानी जुड़ी है।

रोचक है इस मंदिर बनने की कहानी

लोक मान्यताओं के अनुसार, सदियों पहले एक बंजारा अपना कुत्ते और परिवार के साथ यहां आया था। गांव में एक बार अकाल पड़ गया तो बंजारे ने गांव के साहूकार से कर्ज लिया, लेकिन वो कर्ज वापस नहीं कर पाया। ऐसे में उसने अपना वफादार कुत्ता साहूकार के पास गिरवी रख दिया और वहां से चला गया।

कुछ समय बाद साहूकार के यहां चोरी हो गई, लेकिन कुत्ते को उस लूटे हुए माल के बारे में पता चल गया और वो साहूकार को वहां तक ले गया। कुत्ते की बताई जगह पर साहूकार ने गड्ढा खोदा तो उसे अपना सारा माल मिल गया। इससे खुश होकर उसने कुत्ते के गले में पर्ची लगाकर उसे उसके वास्तिक मालिक के पास भेज दिया।

कुत्ता जैसे ही बंजारे के पास पहुंचा, उसे लगा कि वो साहूकार के पास से भागकर आया है। इसलिए उसने गुस्से में आकर कुत्ते को पीट-पीटकर मार डाला, लेकिन जब उसने पर्ची देखी तो उसे पछतावा हुआ। उसके बाद उसने उसी जगह कुत्ते को दफना दिया और उस पर स्मारक बनवा दिया, जो बाद में मंदिर बन गया। इसे की जीर्णोंद्धार बाद में नागवंशीय शासकों ने कराया।

ये भी पढ़े:- Dharm Astha: यहाँ होती है देवताओं की बैठक, हनुमान जी की पहरेदारी करते हैं नागराज…

दर्शान करने के पीछे है एक रोचक मान्यता

कुकुरदेव मंदिर में दर्शन करने के पीछे लोगों कि एक रोचक माम्यता है। लोगो कि मान्यता है कि कुकुरदेव का दर्शन करने से न कुकुरखांसी होने का डर रहता है और न ही कुत्ते के काटने का खतरा रहता है। इस मंदिर में कुत्ते के साथ शिवलिंग की भी पूजा की जाती है।

फणी नागवंशीय शासकों ने कराया था जीर्णोंद्धार

इस अनोखे, ऐतिहासिक और पुरातत्वीय मंदिर का निर्माण फणी नागवंशीय शासकों ने 14वीं-15वीं शताब्दी के बीच कराया गया था। गर्भगृह मे जलधारी योनिपीठ पर शिवलिंग प्रतिष्ठापित है। ठीक उसी के पास स्वामी भक्त कुत्ते की प्रतिमा भी स्थापित है। लोगों की अटूट आस्था इस मंदिर में है।

ये भी पढ़े:- Dharma Aastha: यहाँ तंत्र साधना की भस्म से बनी गणेश मूर्ति, उल्टा स्वास्तिक बनाने से बनते हैं बिगाड़े काम

वीवीआईपी यहाँ झुकाते है आपना सर

इस मंदिर की इतनी मान्यता है कि यहाँ आने वाला कोई भी अधिकारी, राजनेता या कोई भी प्रसिद्ध व्यक्ति यहाँ अपना सर झुकाये बिना नहीं जाता। पिछले दिनों यहाँ छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी यहां पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कुकुरदेव मंदिर में बेजुबान जानवर की वफादारी के आगे सिर झुकाया था और लोक आस्था को नमन करते हुए प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

ये भी पढ़े:- Aastha News: राक्षस नहीं यहाँ भगवान हैं रावण, रोज़ होती है आरती

हमें उम्मीद है कि आपको इस आर्टिकल से अच्छी जानकारी मिली होगी, इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि उन्हें भी अच्छी जानकारी मिल सके।

You may also like

Leave a Comment

लोकल पत्रकार खबरों से कुछ अलग हटकर दिखाने की कोशिश है कुछ ऐसा जिसमें ना केवल खबर हो बल्कि कुछ ऐसा जिसमें आपके भी विचार हो हमारी कोशिश को सफल बनाने के लिए बने रहिए लोकल पत्रकार के साथ 🎤🎥

Edtior's Picks

Latest Articles

© Local Patrakar broadcast media . All Rights Reserved.