Home दंत कथाएं Dharma Aastha: देवो के राजा होने के बाद भी नहीं होती इंद्र देव की पूजा, दिया था भगवान श्री कृष्ण ने श्राप

Dharma Aastha: देवो के राजा होने के बाद भी नहीं होती इंद्र देव की पूजा, दिया था भगवान श्री कृष्ण ने श्राप

by PP Singh
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Dharma Aastha: देवो के राजा होने के बाद भी नहीं होती इंद्र देव की पूजा, दिया था भगवान श्री कृष्ण ने श्राप

क्या आपने कभी सोचा है कि देवताओं के राजा यानी देवताओं का अधिपति माना गया है , लेनिक फिर भी भगवान इंद्र की पूजा क्यों नहीं होती। क्यों इतने प्रसिद्ध देवता का कोई मंदिर नहीं है। हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवताएं हैं। सभी देवी-देवताओं से जुड़ी कथा-कहानियां पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। देवराज इंद्र की बात करें तो उन्हें देवताओं का राजा कहा जाता है। लेकिन पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के कारण इंद्र देव की पूजा नहीं की जाती है। शुरुआत में इंद्र देव की पूजा ‘इंद्रोत्सव’ जाता था। लेकिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देव की पूजा की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा। जिस पर नाराज़ होकर बृज में जमकर बारिश करवाई। जिससे बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी ऊँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सबकी रक्षा की। इसी के बाद से इंद्र देव की पूजा बंद हो गई।

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इंद्र देव को मिला था 100 योनियों का श्राप

इंद्र के चित्रों में उनके शरीर पर असंख्य आंखें दिखाई देती है। दरअसल ये आंखें गौतम ऋषि द्वारा मिले श्राप का परिणाम है। पद्ममपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, इन्द्र स्वर्गलोक में अप्सराओं के साथ कामवासना से घिरे रहते थे। एक दिन जब वे धरती पर विचरण करने आए तो उन्होंने एक कुटिया के बाहर गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या को देखा। अहिल्या सुंदर और रूपवती थी, जिसे देखते ही इंद्र उनपर मोहित हो गए। छलपूर्वक अहिल्या को पाने के लिए इंद्र ने अपनी माया से रात को सुबह जैसे वातावरण में बदल दिया। गौतम ऋषि को लगा कि सुबह हो गई और वे कुटिया से निकलकर स्नान और पूजा-पाठ के लिए बाहर चले गए। उनके जाते इंद्र गौतम ऋषि का वेश धारण कर कुटिया में चले गए। अहिल्या इंद्र को गौतम ऋषि के वेश में देख पति समझ बैठी। गौतम ऋषि ने नदी में आसपास का वातावरण देखा जिससे उन्हें अनुभव हुआ कि अभी सुबह नहीं हुई है और वो अपनी कुटिया की तरफ लौट गए। कुटिया लौटते ही उन्होंने देखा कि उनके वेश में कोई दूसरा पुरुष उनकी पत्नी के साथ रति क्रियाएं कर रहा है।

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गौतम ऋषि ने क्रोध में आकर पत्नी अहिल्या को जीवनभर पत्थर की शील बनने का श्राप दे दिया। उन्होंने इंद्र से कहा कि तुमने यह सब केवल एक स्त्री की योनि पाने के लिए किया। तुम्हें योनि की इतनी लालसा है, तो तुम्हें वही मिलेगी। तब ऋषि ने इंद्र को हजार योनियों का श्राप दे दिया और इंद्र के शरीर पर हजार योनियां निकल आई।

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राम भगवान ने किया अहिल्या का उद्धार

गौत्तम ऋषि से श्राप मिलने के बाद इंद्र देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने गौतम ऋषि से क्षमा मांगी। फिर गौतम ऋषि ने उन योनियों को आंखों में बदल दिया। यही कारण है कि इंद्र की अधिकतर तस्वीरों पर असंख्य आंखें दिखाई देती है। लेकिन गौत्तम ऋषि ने इंद्र देव की पूजा नहीं होने का भी श्राप दिया था, इसलिए इंद्र देव की पूजा नहीं होती।

वही देवी अहिल्या को श्राप मुक्त करने के लिए स्वयं भगवान विष्णु ने भगवान श्री राम का अवतार लिया था और अपने पेर लगाकर पत्थर से फिर से इंसान बना दिया था।

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