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Aastha News: राक्षस नहीं यहाँ भगवान हैं रावण, रोज़ होती है आरती

by PP Singh
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Aastha News Ravana

Aastha News: राक्षस नहीं यहाँ भगवान हैं रावण, रोज़ होती है आरती

दुनिया रावण को भले की सबसे बड़े खलनायक के तौर पर जानती हो, लेकिन एक परम ज्ञानी, सबसे बड़ा शिव भक्त और एक विद्वान पंडित था। रावण अनेक विद्याओं का धनी और तंत्र मंत्र का ज्ञाता भी था। रावण ने तपस्या करते हुए ब्रम्हा जी को एक एक करके दस बार अपने शीश अर्पण कर दिये थे। सभी ग्रहों को अपना दास बना लिया था। लेकिन उसके दुष्ट कर्मों ने उसे पापी बना दिया था और माता सीता का हरण करके वो सबसे बड़ा खलनायक बन गया था। इस सबके बावजूद वो एक कुशल राजा था, जो अपनी जानता के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित था। साथ ही रावण की शिव भक्ति ने उसे और कृति और यश दिया। यही वजह है कि रावण सबसे बड़ा खलनायक होने के बाद भी अपनी लंका में आज भी पूजा जाता है। श्री लंका में रावण को भगवान मनकर कई मंदिरों की स्थापना की गई है ।

लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि भारत में भी रावण के कई मंदिर हैं, जहाँ भगवान रावण की पूजा की जाती है ।

उत्तरप्रदेश के कनपुर में रावण का भव्य मंदिर –

कानपूर में दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है। यहां रावण का मंदिर है, जो साल में केवल दो दिन के लिए दशहरा के दिन ही खोला जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से रावण की मूर्ती को दूध से नहलाया जाता है और फिर उनका श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद रावण की आरती की जाती है। बहुत कम लोगों ये बात पता है कि जिस दिन राम के हाथों रावण को मोक्ष प्राप्त हुआ था, उसी दिन रावण का जन्म भी हुआ था।

Aurangzeb ने यहां चढ़ाई थी स्वर्ण प्रतिमा..!

यहाँ हुआ था रावण का जन्म –

उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव रावण का जन्मस्थान माना जाता है। इस जगह पर विश्रवा ऋषि और उनके पुत्र रावण ने हजारों साल पहले एक शिवलिंग की पूजा की थी। लगभग एक सदी पहले, इस स्थान की खुदाई के बाद यहां शिवलिंग पाया गया था और माना जाता है कि यह वही लिंगम है जिसकी पूजा रावण और उनके पिता किया करते थे। यहां शिव मंदिर में रावण की मूर्ति भी स्थापित है। जिसकी बड़े विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस गांव में कभी भी रावण का पुतला नहीं जलाया जाता।

मंडोर में हुई थी रावण की शादी –

मंडोर के निवासी मुख्य रूप से मौदगिल और दवे ब्राह्मण हैं, जो रावण को अपना दामाद मानते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि मंडोर ही वो जगह है, जहां रावण और पत्नी मंदोदरी का विवाह हुआ था। जिस स्थान पर उनकी शादी हुई थी। वह जगह अभी भी इस शहर में मौजूद है। लेकिन अब यह लगभग खंडहर में तब्दील हो चुकी है। यहां रावण का एक मंदिर भी है, यहाँ पूरे विधि विधान से रावण की पूजा की जाती है।

यहाँ है 35 फ़ीट के दशानान, मेघनाद का भी है मंदिर –

इंदौर शहर से राजस्थान-एमपी सीमा पर लगभग 200 किमी दूर स्थित मंदसौर शहर में 10 सिर वाली 35 फीट ऊंची मूर्ति के रूप में रावण की स्तुति की जाती है। मंदिर खानपुर इलाके में स्थित है और रावण के कई प्रशंसक इस स्थल पर आते जाते रहते हैं। इसके पास शाजापुर जिले में भड़केड़ी गांव स्थित है। जहां रावण के पुत्र मेघनाद को समर्पित एक और मंदिर है।

रावण ने बयाना था शिवलिंग –

आंध्र प्रदेश के काकीनाडा बेहद सुंदर जगह है। जहां इसी नाम का बीच रोड पर एक मंदिर परिसर है। जिसमें एक बड़े शिवलिंग के साथ रावण की 30 फीट की मूर्ति स्थापित है। ऐसा कहा जाता है कि यह शिवलिंग की स्थापना स्वयं रावण द्वारा की गई थी। इसलिए यहाँ रावण को भी पूजा जाता है।

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