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Dharma Aastha: भारत का वो मंदिर, जहां कंबल चढ़ाने से पूरी होती है मनोकामना
Dharma Aastha: आस्था और विश्वास की भूमि, भारत में एक ऐसा मंदिर है, जहां आपकी मनोकामना एक कंबल चढ़ने से पूरी हो जायेगी। चौंकिए मत, ये सच है। देश के उत्तराखंड में स्थित नीम करोली बाबा यानी कैंची धाम चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। दुनिया भर से भक्त नीम करोली बाबा के कैंची धाम पहुंचते हैं और मनोकामना पूरी करने के लिए कंबल चढ़ाते हैं।
देश विदेश में बजता है डंका
देश विदेश में नीम करोली वाले बाबा का डंका बजता है। उन्हें इस युग का महान संत माना जाता है। बता दें की वे उत्तराखंड राज्य के जिस स्थान पर कई साल रहे, उसे अब कैंची धाम के नाम से जाना जाता है। इस धाम में दुनिया की कई बड़ी हस्तियों ने माथा टेका है। जिनमें फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग से लेकर एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जाब्स तक के नाम शामिल हैं। नीम करौली वाले बाबा की सीख और चमत्कार के कई किस्से पूरी दुनिया में फैले और इसके बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु नीम करौली बाबा का आशीर्वाद लेने कैंची धाम आने लगे। नीम करोली बाबा हनुमानजी के परम भक्त थे, लेकिन उनके भक्त उन्हें साक्षात हनुमान जी का अवतार ही मानते हैं। गौरतलब है की ज्यादातर मंदिरों में मिठाइयां, फल, पैसे आदि चढ़ाये जाते हैं लेकिन बाबा के कैंची धाम में कंबल चढ़ाई जाती है।
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क्या है इस धाम की कहानी और क्यूं चढ़ती है यहां कंबल
दरअसल नीम करौली बाबा अपने तन पर हर समय कंबल ओढ़ कर रखा करते थे। एक दिन इसी कंबल से जुड़ी एक ऐसी घटना हुई, जिसके बाद बाबा को कंबल चढ़ाई जाने लगी। घटना का जिक्र नीम करोली बाबा के एक भक्त रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने अपनी किताब ‘मिरेकल ऑफ लव’ में किया है। बतौर रिचर्ड, बाबा के भक्तों में फतेहगढ़ के एक बुजुर्ग दंपति भी शामिल थे। एक दिन बाबा अचानक इस बुजुर्ग दंपति के घर पर पहुंच गए और कहा कि आज रात वे उनके घर पर ही रुकेंगे। दंपत्ति बहुत खुश हुए लेकिन गरीब होने के कारण वे सोच रहे थे की बाबा का स्वागत किस प्रकार कर पाएंगे। फिर जैसे-तैसे पहले उन्होंने भोजन पानी की व्यवस्था की और फिर बाबा को सोने के लिए चारपाई के साथ ही एक कंबल दे दी। बाबा के सो जाने के बाद पति-पत्नी भी वहीं चारपाई के पास सो गए। कुछ समय बाद बाबा कराहने लगे, जैसे कोई उन्हें मार रहा हो। दंपति की रात बड़ी मुश्किल से गुजरी। सुबह होते ही बाबा ने वह कंबल समेट कर दंपत्ति को लौटाया और कहा कि इसे बिना खोले गंगा में प्रवाहित कर देना।
बाबा की ओढ़ी कंबल से बची बेटे की जान
इधर कंबल लेकर दंपति उसे गंगा में प्रवाहित करने चले। जब कंबल को वे प्रवाहित करने वाले थे, तब उन्हे कंबल अचानक ही भारी लगने लगा। दोनों को लगा की जैसे कंबल में ढेर सारा लोहा हो। लेकिन बाबा की आज्ञा को शिरोधार्य कर दोनो ने बिना खोले उसे बहा दिया। लगभग एक महीने के बाद दंपति का बेटा सकुशल घर लौट आया।
आपको बता दें की इस बुजुर्ग दंपति का एकमात्र बेटा ब्रिटिश फौज में सैनिक था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान उसे बर्मा फ्रंट पर तैनात किया गया था। दोनों को ही अपने बेटे की फिक्र लगी रहती थी। वे चाहते थे की उनका बच्चा जल्द से जल्द लौट आए। अब आपको इन दोनो बातों का संबंध बताते हैं।
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दरअसल उनका बेटा, बाबा के आने के ठीक एक महीने बाद घर लौटा था और उसने जो बताया उसके बाद बुजुर्ग हक्के बक्के रह गए। नीम करोली बाबा के घर में रात बिताने के एक महीने बाद लौटे बेटे ने बताया कि करीब महीने भर पहले एक रात वह दुश्मन फौजों के बीच घिर गया था और रातभर गोलीबारी होती रही। इस युद्ध में उसके सारे साथी मारे गए लेकिन वह अकेला बच गया। बेटे ने कहा कि मेरा बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। मुझे नहीं मालूम की मैं कैसे बच गया। बेटे ने बताया की मुझ पर बहुत गोलीबारी हुई, लेकिन गनीमत थी की मुझे एक भी गोली नहीं लगी। ये वही रात थी जब बाबा नीम करौली उस बेटे और बुजुर्ग दंपति के घर में सोते हुए कराह रहे थे।
ये सुनते ही दोनों बुजुर्ग बाबा के चमत्कार को समझ गए। इस घटना के कारण ही ‘मिरेकल ऑफ लव’ में रिचर्ड एलपर्ट ने इस कंबल को बुलेटप्रूफ कंबल कहा है। इसके बाद से कैंची धाम स्थित मंदिर में बाबा के भक्त उन्हें कंबल चढ़ाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से उनकी मांगी गई मनोकामना पूरी होती है।
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