Home दंत कथाएं Dharma Aastha: यहां हुआ था भगवान शिव माता पार्वती का विवाह, आज भी साक्षी अग्निकुण्ड है मौजूद

Dharma Aastha: यहां हुआ था भगवान शिव माता पार्वती का विवाह, आज भी साक्षी अग्निकुण्ड है मौजूद

by PP Singh
233 views
Dharma Aastha

Dharma Aastha: यहां हुआ था भगवान शिव माता पार्वती का विवाह, आज भी साक्षी अग्निकुण्ड है मौजूद

सनातन धर्म को लेकर भले ही अन्य धर्म के लोग कई बातें बनाते हो..इसे झूठलाते हो, लेकिन सनातन किसी एक किताबी ज्ञान से ही आगे नहीं बढ़ा या जाना जाता, बल्कि सनातन सत्यता पर आधारित है। इसके कई सबूत हैं। जैसे भगवान शिव माता पर्वती का विवाह जहां हुआ वो जगह आज भी मौजूद है। जिसे त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है। त्रियुगीनारायण मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ ब्लाक में है। मान्यता है कि देवी पार्वती से भगवान शिव का विवाह इसी स्थान पर संपन्न हुआ था। भगवान नारायण ने इस दिव्य विवाह में देवी पार्वती के भाई का कर्तव्य निभाया। जबकि ब्रह्मा इस विवाहयज्ञ के आचार्य बने। यही वजह है कि यहां जल रही अखंड धूनी के सात फेरे लेने के लिए हर साल देश-विदेश से बड़ी संख्या में युवा जोड़े त्रियुगीनारायण पहुंचते हैं।

ये भी पढ़े:- Dharma Aastha: यहाँ गिरी सती की जीभ तो निकली 9 ज्वाला, रहस्य जानने में अब वैज्ञानिक भी होते हैं फेल..

त्रेतायुग से स्थापित है मंदिर

भगवान शिव और माता पर्वती के विवाह वाला यह पवित्र स्थान समुद्रतल से 6495 फीट की ऊंचाई पर है।केदारघाटी में स्थित सीमांत ग्राम पंचायत का त्रियुगीनारायण नाम इसी मंदिर के कारण पड़ा। 295 परिवारों वाली इस पंचायत में त्रियुगीनारायण मंदिर की स्थापना त्रेतायुग में हुई मानी जाती है। स्थापत्य शैली में केदारनाथ मंदिर जैसे दिखने वाले इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण है यहां जल रही अखंड ज्योति। मान्यता है कि यह लौ शिव-पार्वती के दिव्य विवाह के समय से प्रज्वलित है। इसलिए इसे अखंड धूनी मंदिर भी कहा जाता है।

इस अग्निकुण्ड को साक्षी मानकर आज भी करते हैं विवाह

त्रियुगीनारायण में आज भी जल रही इस अग्निकुण्ड को साक्षी मानकर देश विदेश से युवा जोड़ा यहां शादी करने आता है। इस मंदिर में भगवान नारायण भूदेवी व देवी लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं। यहां जल रही अखंड धूनी के सात फेरे लेने के लिए हर साल देश-विदेश से बड़ी संख्या में युवा जोड़े त्रियुगीनारायण पहुंचते हैं। साल-दर-साल यह संख्या बढ़ती ही जा रही है।

ये भी पढ़े:- Dharma Aastha: देवो के राजा होने के बाद भी नहीं होती इंद्र देव की पूजा, दिया था भगवान श्री कृष्ण ने श्राप

प्रकृति की गोद में संस्कृति का समागम

चारों ओर पहाड़ों से घिरा त्रियुगीनारायण गांव आपको प्रकृति की गोद में होने का एहसास कराता है। आप सर्दी का मौसम शादी के लिए चुनते हैं तो बर्फ की मनमोहक फुहारें भी आपका स्वागत कर सकती हैं।

शादी में गढ़वाली मांगल गीतों के साथ लोक वाद्य ढोल-दमाऊ और मसकबीन की सुमधुर लहरियां आपको पहाड़ी संस्कृति के और करीब ले जाती हैं। अगर आप चाहें तो शादी में पारंपरिक गढ़वाली व्यंजन परोसने का अनुरोध भी कर सकते हैं। मंदिर में सात कुंड हैं, जिन्हें ब्रह्मकुंड, रुद्रकुंड, विष्णु कुंड, सूरज कुंड, सरस्वती कुंड, नारद कुंड व अमृत कुंड नाम से जाना जाता है। ऋषिकेश से 175 किमी की दूरी पर त्रियुगीनारायण से आसपास गौरीकुंड, सोनप्रयाग, ऊखीमठ व कालीमठ जैसे दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर भगवान केदारनाथ का शीतकालीन प्रवास स्थल भी है। यहां आप पांचों केदार (केदारनाथ, मध्यमेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ व कल्पेश्वर) के दर्शन कर सकते हैं।

ये भी पढ़े:- Dharma Aastha: यहाँ तंत्र साधना की भस्म से बनी गणेश मूर्ति, उल्टा स्वास्तिक बनाने से बनते हैं बिगाड़े काम

ये भी पढ़े:- Aastha News: राक्षस नहीं यहाँ भगवान हैं रावण, रोज़ होती है आरती

ये भी पढ़े:- Dharma Aastha: यहाँ है एक कुत्ते का मंदिर, लोगों करते है इसकी पूजा!

हमें उम्मीद है कि आपको इस आर्टिकल से अच्छी जानकारी मिली होगी, इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि उन्हें भी अच्छी जानकारी मिल सके।

You may also like

Leave a Comment

लोकल पत्रकार खबरों से कुछ अलग हटकर दिखाने की कोशिश है कुछ ऐसा जिसमें ना केवल खबर हो बल्कि कुछ ऐसा जिसमें आपके भी विचार हो हमारी कोशिश को सफल बनाने के लिए बने रहिए लोकल पत्रकार के साथ 🎤🎥

Edtior's Picks

Latest Articles

© Local Patrakar broadcast media . All Rights Reserved.