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बिना पासपोर्ट (Passports) 7 समंदर पार से आए विदेशी मेहमान
जैसलमेर की खूबसूरती देखने के लिए अक्सर विदेशी मेहमानों का जमावड़ा लगा रहता है। आए दिन विदेश से आने वाले सैलानी जैसलमेर के रेगिस्तान को निहारने के लिए 7 समंदर पार भारत आते हैं। लेकिन हम जिन मेहमानों की बात कर रहे हैं। उन्हे ना तो किसी वीजा की जरूरत होती है और ना ही पासपोर्ट की। क्योंकि उनके लिए ना तो कोई सरहद है और ना ही कोई बाउंडेशन। बल्कि ये दुनिया भी उनकी है और ये आसमान भी उनका ही है। जहां मन करता है बस वहां के लिए उड़ान भर लेते हैं। हम बात कर रहे हैं साइबेरियन पक्षियों की।
अगले 6 महीनों तक भारत में रहेंगे
जैसलमेर के लाठी क्षेत्र में 7 समंदर पार से आए साइबेरिन पक्षियों ने डेरा डाला हुआ है। गुलाबी सर्दी का अहसास होते ही हर साल ये कुरंजा पक्षी साइबेरिया से लम्बी उड़ान भरकर हिमालय की ऊचाइयों को पार करते हुए यहां आते हैं। तस्वीरों में दिखाई दे रहे ये कुरजां पक्षी पिछले एक सप्ताह से जैसलमेर के गांवों के ऊपर अपनी उड़ान भर रहे हैं। पक्षी विशेषज्ञों की माने ये अपने पड़ाव स्थल की जांच के लिए लगातार उड़ान भर रहे हैं। अब वो सर्दियों तक यानि की करीब 6 महीनों तक भारत में ही रहेंगे।
साइबेरियन पक्षियों की बढ़ेगी तादाद
जैसलमेर में अभी तक विदेशी पक्षियों के पहले जत्थे ने ही दस्तक दी है। जैसे जैसे तापमान में गिरावट आएगी। साइबेरियन पक्षियों की तादाद में भी लगातार इजाफा होता जाएगा। प्रवासी पक्षी एक सप्ताह पहले क्षेत्र में उड़ान भरते हुए आए थे। उनमें से दो जत्थे सुबह अपने पड़ाव स्थल खेतोलाई,चाचा गांव के पास तालाबों पर उतर आए है। ये पक्षी अक्सर ठंडे इलाकों में रहते हैं। भारत में भी कुछ दिनों बाद सर्दी शुरू हो जाएगी। जैसलमेर में कई फ्लाईकैचर समूह की प्रजातियां देखने को मिल जाएगी।
हिमालय की चोटियों को पार करके पहुंचे
कुरजां एक खूबसूरत पक्षी है जो सर्दियों में साइबेरिया से समुंदर और हिमालय की ऊंचाइयों को पार करता हुआ भारत में आता हैं और सर्दियों तक यानि अगले 6 महीने तक हमारे मैदानों और तालाबों में रहने के बाद वापस अपने मूल देश में लौट जाते है अपने लंबे सफर के दौरान यह पांच से आठ किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ते है। राजस्थान में हर साल करीब 50 स्थानों पर कुरजां पक्षी आते हैं। लेकिन इनकी सबसे बड़ी संख्या लाठी क्षेत्र में ही दिखाई देती है। हैरानी की बात ये है कि कई हजार किलोमीटर का लंबा सफर तय करने के दौरान ना तो ये रास्ता भटकते हैं और ना ही लेट होते हैं। ऐसा नहीं है कि ये पक्षी सिर्फ जैसलमेर में ही अपना बसेरा ढूंढते हैं। बल्कि जोधपुर, भरतपुर और अलवर में भी ये पक्षी देखने को मिल जाते हैं।
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