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क्या शादी का बंधन बन रहा है फांसी का फंदा? पुरुषों की आत्महत्याओं की बढ़ती मिस्ट्री

by PP Singh
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शादी
क्या शादी का बंधन बन रहा है फांसी का फंदा? पुरुषों की आत्महत्याओं की बढ़ती मिस्ट्री
  • मैरिड लाइफ,मौत और मिस्ट्री
  • शादी का बंधन क्यों बन रहा फांसी का फंदा?
  • क्या हर गुनाह के लिए पुरुष जिम्मेदार है?
  • क्या मर्द को दर्द नहीं होता…?
  • पुरुष-महिला के कानूनी अधिकार अलग-अलग क्यों?
  • क्या महिलाएं कानून का बेजा इस्तेमाल करती है?
  • हर पत्नी सीता जैसी नहीं तो हर पति राम जैसा क्यों?

ब्यूरो रिपोर्ट, लोकल पत्रकार। क्यों पुरुषों की खुदकुशी के मामले अचानक से इतने बढ़ रहे हैं। आए दिन लोग किसी ना किसी वजह से खुदकुशी कर रहे हैं। गाजियाबाद के 38 साल के एक शख्स ने भी वीडियो रिकॉर्ड करके खुदकुशी कर ली और वजह बताते हुए लोगों को नसीहत भी दे डाली कि भूलकर भी शादी ना करना। क्यों इस शख्स ने खुदकुशी की, कौन है इसका जिम्मेदार हम आपको बताते हैं। अपनी रिपोर्ट में…

सोशल मीडिया सेंसेशन विवेक और सृजना की जोड़ी टूटने वाली ख़बर आपने हम सभी ने देखी। कैसे एक पत्नी अपनी पति की जिंदगी के लिए सबकुछ दांव पर लगा देती है। सृजना ने उन लाखों-करोड़ों पति-पत्नियों के लिए मिसाल कायम की है। जो अपनी मैरिड लाइफ से तंग आकर मौत को गले लगा रहे हैं। मौजूदा दौर में 7 जन्मों का बंधन मुश्किल से ही कुछ साल चल पाता है। गाजियाबाद में युवक ने अपनी पत्नी से परेशान होकर खुदकुशी कर ली। सुसाइड करने से पहले उसने दो वीडियो बनाए और 12 लोगों को वाट्सएप भी किए। 38 साल के जगजीत सिंह राणा ने कमरे में पंखे से लटक कर जान दे दी। जगजीत ने वीडियो के जरिए अपनी पत्नी और उसके परिवारवालों पर संगीन आरोप लगाए। पुलिस को जगजीत के मोबाइल से एक वीडियो 3 मिनट का तो दूसरा वीडियो 25 सेकेंड का मिला। उसने एक वीडियो में कहा कि मुझे सुसाइड करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मुझ पर संगीन आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरी प्रॉपर्टी से किसी को भी एक सुईं बराबर हिस्सा भी ना दिया जाए। वहीं दूसरे वीडियो में जगजीत ने कहा कि ये मेरा लास्ट मैसेज है दुनिया में सबकुछ कर लेना, पर शादी मत करना। शादी करो तो ऐसी पत्नी, इतने घटिया और इतने गिरे हुए लोगों के साथ मत रूकना। जय श्री राम…।

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पहले जगजीत सिंह फिर अतुल सुभाष मोदी की खुदकुशी…पुरुषों के लगातार खुदकुशी के वीडियो ने सबकों सोचने पर मजबूर कर दिया है। कि आखिरकार हमारा समाज किस और जा रहा है। क्यों रिश्तों की अहमियत को हम नहीं समझ रहे। फिर चाहे वो रिश्ता पति-पत्नी का ही क्यों ना हो। क्या पुरुषों और महिलाओं के बीच अधिकार की लड़ाई कभी खत्म नहीं होगी। क्यों पुरुष वर्ग खुद को इतना कमजोर महसूस कर रहा है। शादी का पवित्र बंधन अब उनके लिए फांसी का फंदा क्यों बनता जा रहा है। क्या पुरुष अपनों के आगे खुद को बेसहारा, लाचार और कमजोर महसूस करने लगा है। अक्सर आपने सुना होगा कि महिलाओं की आवाज को हर जगह दबा दिया जाता है। लेकिन पिछले कुछ वक्त से शादीशुदा पुरुषों के सुसाइड के मामलों ने इस मिथ को बदल दिया है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि मानों इस देश में महिला नहीं बल्कि पुरुष ज्यादा प्रताड़ित हैं। कभी उन्हे झूठे केस में फंसा दिया जाता है। कभी उन पर बढ़ा-चढ़ाकर आरोप लगाए जाते हैं।

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कहने को हमारा देश पुरुष प्रधान देश है। लेकिन महिलाओं के प्रति सॉफ्ट कॉरनर होने की वजह से हम भूल जाते हैं कि मर्द को भी दर्द होता है। हम क्यों भूल जाते हैं कि उसे भी बदनामी से डर लगता है। उसके भी सीने में दिल है। वो फूट-फूटकर नहीं रोता तो क्या उसके आंखों से आंसू नहीं निकलते। वो भी इंसान है। पूरे देश में महिलाओं के हक की लड़ाई सदियों से चली आ रही है। महिलाओं के लिए इतने कानून बनाए गए हैं। पीछा करने से लेकर छेड़छाड़, गलत नजरों से देखने से लेकर गलत बात बोलने और गलत काम करने तक कई ऐसे कानून है। जिसके लिए पुरुष को जिम्मेदार माना गया है। लेकिन बहुत से ऐसे भी मामले सामने आए हैं। जिनमें सभी आरोप फर्जी पाए गए हैं। कुछ मामलों में तो बेगुनाह होने के बावजूद भी पुरुष को गुनहगार करार दे दिया जाता है। इस बदनामी और कोर्ट के चक्कर लगाने और दुनिया के तानों के डर से तंग आकर वो मौत को गले लगाना ज्यादा मुनासिब समझने लगा है। जिस पर रोक लगना बेहद जरूरी है। कानून की नजरों में गुनहगार कोई भी हो.. लेकिन सजा सिर्फ पुरुष को मिलना भी गलत है।

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