Kalki Avatar : राजस्थान में एक जगह ऐसी भी है जहां भगवान विष्णु जी के उस अवतार की पूजा की जाती है जिसने अभी तक जन्म भी नहीं लिया। जी हां, हम बात कर रहें है भगवान श्री विष्णु के 10वें अवतार ‘कल्कि’ की। दरअसल, भगवान विष्णु के 10वें अवतार का गहरा नाता जयपुर से है। यहां भगवान कल्कि का एक भव्य मंदिर है। पूरी दुनिया में यह एक मात्र मंदिर है जहां अभी अजन्मे अवतार की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है। मंदिर की स्थापना करीब 300 वर्ष पूर्व जयपुर की स्थापना के बाद महाराज सवाई जयसिंह ने कराया ने कराया था।
कब और कहां लेंगे जन्म ‘कल्कि’: kalki Avatar
विष्णु पुरान में इस लेख मिलता है कि जब कलयुग अपने चरम पर होगा, तब भगवान कल्कि का जन्म होगा। यह समय कलयुग के अन्त और विनाश के बाद सतयुग के प्रारंभ के समय यानि कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। कल्कि पुराण के अनुसार यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। ‘कल्कि’ उत्तरप्रदेश में मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर तपस्वी ब्राह्मण विष्णुयशा और सुमति के घर पुत्र रूप में जन्म लेंगे।
किससे करेंगे शादी:
कई पुराणों में बताया गया है कि देवी वैष्णवी यानी माता वैष्णो देवी जो रामावतार के समय से भगवान से विवाह के लिए तपस्या कर रही हैं। उनकी तपस्या से कल्कि भगवान पूर्ण होंगे और उनसे विवाह करेंगे। कल्कि भगवान के चार पुत्र होंगे, जिनके नाम जय, विजय, मेघवाल तथा बलाहक होंगे।
जयपुर में पता चलेगा कब होगा कल्कि जन्म :
जयपुर के प्रसिद्ध हवामहल के ठीक सामने महाराज सवाई जयसिंह ने कल्क मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में भगवान कल्कि की मंर्ति के ठीक सामने एक सफेद रंगा के देवदत्त नामक घोड़े की भी मंर्ति बनाई गई है। जिसका एक पैर जमीन में है, कहा जाता है कि घोडे का यह पैर और उसमें हुआ घाव जब भरेगा तक कल्कि अवतार होगा।
कल्पना के आधार पर शिखर शैली से बना है मंदिर :
जयपुर के सिरहदयोढ़ी बाजार में स्थित है यह मंदिर और जयपुर के संस्थापक राजा सवाई जय सिंह ने जयपुर की स्थापना के बाद 1739 में इसे बनवाया था। यह मंदिर दक्षिणायन शिखर शैली में बना है। माना जाता है कि यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है। जिसे ऐसे भगवान की कल्पना कर बनाया गया है। जिसके भगवान अभी धरती पर अवतरित नहीं हुए हैं।