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Legends: यहाँ आत्मशुद्धि के लिए आए थे श्री राम, फिर यही बना भव्य सूर्य मंदिर
21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है,लेकिन इस दिन भारत के एक मंदिर की परछाई नहीं बनती। ये मंदिर गुजरात् के मोढ़ेरा में है और भगवान सूर्य देव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण करीब 800 साल पहले सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था। वो सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसीलिए उन्होंने अपने देवता की पूजा के लिए इस भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर इसलिए भी अनोखा है, क्योंकि इसे बनाते वक़्त ये ध्यान रखा गया कि सूर्योदय होने पर इसकी पहली किरण सीधे गर्भगृह तक पहुंच सके।
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सूर्योदय होते ही जगमगा था मंदिर
करीब 800 साल पहले बनाये गये मंदिर में चुने का इस्तेमाल नहीं किया गया। ये सूर्य मंदिर 11वीं सदी में बना है। शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण देने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सूर्य कि पहली किरण भगवान सूर्य को छूती है। बताया जाता है कि भगवान सूर्य देव कि मूर्ति सोने कि बनी थी और उस में कई रतन जड़े हुए थे, ऐसे में जब सूर्य कि पहली किरण मूर्ति पर पड़ती तो पुरा मंदिर उसकी रोशनी से जगमाता था। हर साल सूर्य के राशि बदलने (संक्रांति) पर इस जगह से सूर्य के दर्शन किए जाते हैं और यहां बने सूर्यकुंड के पानी से स्नान भी किया जाता है। इस मंदिर को दो हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन पर बेहतरीन कारीगरी की गई है, जिससे देवी-देवताओं के चित्रों और रामायण – महाभारत के प्रसंग को उकेरे गए हैं। इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वे अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने पर ये गोल दिखाई देते हैं।
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रावण के वध के बाद यहाँ आये थे श्री राम
रावण के वध के बाद भगवान श्री राम पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। जिसकी आत्मशुद्धि के लिए आए थे । मोढ़ेरा मंदिर के बारे में स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र धर्मरण्य के नाम से जाना जाता था। भगवान श्रीराम ने रावण के संहार के बाद गुरु वशिष्ट से ऐसा स्थान बताने के लिए कहा था । जहां वह आत्मशुद्धि कर ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पा सकें। तब गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को यहीं आने की सलाह दी थी।
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खंडित होने के बाद भी इस मंदिर में आते हैं लोग
मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर भव्य होने के साथ सोने और कई रत्नों से बना था। यही वज़ह थी कि इसको लूटने के लिए कई हमले हुए। हमलों कि वजह से ये मंदिर अब खंडित हो गया है और ना ही अब यहाँ कोई मूर्ति है , लेकिन फिर भी लोग बड़ी संख्या में यहाँ घूमने के लिए आते हैं।
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