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बहन प्रियंका ने लिया भाई Rahul Gandhi की हार का बदला, जादूगर का भी चला जादू।
2024 लोकसभा चुनाव में मोदी की लहर हवा के झोंके में तब्दील नजर आई। यही वजह थी कि पिछले चुनाव में जिन सीटों पर बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। वहां भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। बीजेपी का 400 पार का नारा भी हवा-हवाई हो गया। वैसे तो इस बार चुनाव में कई सीटे ऐसी थी जिनकी चर्चा हर किसी की जुबां पर थी। उन्ही में एक सीट थी अमेठी की। जहां भी बीजेपी को बड़ा झटका लगा। इस सीट की चुनाव में खूब चर्चाएं हुई। कई अटकलें लगी कि कांग्रेस के गढ़ में फिर बीजेपी जीत का परचम लहराएगी। लेकिन इस बार स्मृति ईरानी क्या बीजेपी ने भी कभी सोचा नहीं था कि इस सीट से उनकी इतनी करारी हार होगी।
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स्मृति ईरानी की हार की वजह
अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी के मुकाबले कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदार के रूप में केएल शर्मा को जरूर उतारा था। लेकिन बहुच सोच समझकर। ना तो कोई शोर-शराबा किया गया और ना ही कोई पैंतरेबाजी। बिल्कुल सीधा और सपाट। पिछले 40 सालों तक किशोरी लाल शर्मा अमेठी में पर्दे की पीछे की रणनीति बनाते रहे। लेकिन पहली बार मैदान में उतरे तो सीधे विरोधियों के होश उड़ा दिए। किशोरी लाल अंदर ही अंदर अपनी पकड़ को और मजबूत बना रहे थे। जिसको स्मृति ईरानी के साथ साथ बीजेपी ने भी नजरअंदाज किया। कहीं ना कहीं ओवर कॉन्फिडेंस की वजह से भी स्मृति ईरानी को हार का स्वाद चखना पड़ा।
कांग्रेस की ‘सीक्रेट स्ट्रैटजी’अमेठी
सीट पर कांग्रेस स्ट्रैटजी के तहत काम किया। एक तो किशोरी लाल ने अंदर ही अंदर अपनी जमीन को मजबूत किया। दूसरा कांग्रेस की दिग्गज नेता प्रियंका चौधरी ने राहुल का इमोशनल कनेक्शन कार्ड खेला। इस चुनाव में चेहरा केएल शर्मा जरूर थे। लेकिन प्रियंका गांधी हमेशा से उनके पीछे साये की तरह रहीं और अपने इमोशनल कनेक्शन कार्ड की बदौलत अमेठी की जनता को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहीं।
गहलोत का चला जादू
कांग्रेस ने अमेठी सीट के लिए प्लानिंग के तहत काम किया। एक तो भरोसेमंद को प्रत्याशी बनाया। उपर से प्रियंका गांधी को कमान सौंपी। साथ ही राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत को भी बतौर ऑब्जर्वर अमेठी भेज दिया। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सीनियर ऑब्जर्वर की भूमिका बखूबी निभाई। एकबार फिर अशोक गहलोत का जादू चला। जिसकी बदौलत ना सिर्फ कांग्रेस की नैय्या पार लगी बल्कि अमेठी सीट भी उनकी झोली में आ गई। स्मृति ईरानी ने कॉन्फिडेंस के साथ अमेठी में घर तो बनाया.. लेकिन जनता के दिलों में जगह नहीं बना पाई।
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