Dharma Aastha: भगवान राम का परिवार आज भी करता है इस देवी की पूजा, मंदिर के नीचे गुफा में माता करती हैं रात को आराम…
अयोध्या में बेशक़ भव्य मंदिर में राम लल्ला की प्रतिमा स्थापित हो गई हो, लेकिन भगवान राम के वंशज़ आज भी जयपुर के एक मंदिर में मौजूद माता जी की ही पूजा करते हैं। जयपुर के कच्छवाह वंश की कुलदेवी के रूप में जमवाय माता को पूजा जाता है। जयपुर से 30 किलोमीटर दूर इस मंदिर का इसका इतिहास बहुत अनोखा और दिलचस्प है। इस मंदिर की स्थापना से पहले जमवारामगढ़ में पुराने समय में मीणों का राज था। यह मंदिर जमवारामगढ़ बांध की पहाड़ियों की तलहटी में बना हुआ है। इन्हें जमवाय माता के नाम से जाना जाता है।
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मंदिर के गर्भगृह में जमवाय माता की प्रतिमा है। उनके दाहिनी ओर गाय के बछड़े और बायीं ओर माता बुढवाय की मूर्ति स्थापित है। इसी मंदिर परिसर में भगवान शंकर का शिवालय और एक भैरव बाबा का मंदिर भी मौजूद हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि नवजात राजकुमारों को रानी निवास के बाहर तब तक नहीं निकाला जाता था जब तक कि जमवाय माता के दर्शन नहीं कराये जाते। साथ ही राज्यारोहण व बच्चों के मुंडन संस्कारों के लिए कच्छवाह वंश के लोग इसी मंदिर में दूर-दूर से आते हैं। कहा यह भी जाता है कि मंदिर के नीचे एक गुफ़ा है, जिसमें माता खुद आराम करने आती हैं।
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स्थानीय लोग बताते हैं कि 1100 ईसवी में महाराजा दुल्हेरायजी नरवर ग्वालियर से बारात लेकर जा रहे थे, तभी यहां के मीणाओं ने उनका रास्ता रोका और जाने नहीं दिया। राजा ने कहा कि शादी से लौटते ही यहां युद्ध होगा। युद्ध हुआ तो पूरी बारात घायल हो गई और फिर दुल्हन ने सती होने का फैसला किया। इसके बाद घायल अवस्था में पड़े राजा को बुड़वाय माता ने दर्शन दिए और फिर से युद्ध कर मंदिर बनाने के लिए कहा।
राजा सहित पूरी सेना ने फिर से युद्ध किया और जीत प्राप्त की।इसके बाद बुड़वाय माता का मंदिर जमवाय माता के नाम से बनाया गया और राजा ने यहां पर अपने राज्य का विस्तार कर इस जगह को अपनी राजधानी बनाई। कुछ समय बाद राजा के बेटे ने भी यहां युद्ध किया और घायल हो गये और माता ने उन्हें गाय का दूध पिलाकर आशीर्वाद दिया और फिर से वह युद्ध में विजयी हो गए।
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सालों से भगवान राम के वंश के राजा यहां करते हैं पूजा
जमवारामगढ़ में सालों से कच्छवाह वंश के लोग और राजा यहां सालों से देवी जमवाय की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। नवरात्र और दशहरा के मौके पर यहां भव्य पूजा की जाती है। यहां मेला भी लगता है। माता जमवाय की पूजा के लिए यहां पूरे भारत से लोग आते हैं। साथ ही यहां नजदीक भव्य रामगढ़ बांध जो सालों से सूखा पड़ा है। अब यह पर्यटक केन्द्र बन गया है। चारों तरफ पहाड़ी और सुंदर पेड़-पौधे लोगों को खूब आकर्षित करते हैं।
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