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जिंदा लोग नहीं जाते इस मंदिर में, यहां आत्मा को फैसला सुनाते हैं यमराज

by PP Singh
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यमराज मंदिर

जिंदा लोग नहीं जाते इस मंदिर में, यहां आत्मा को फैसला सुनाते हैं यमराज

हमारे देश में कई मंदिर है, जहां भक्तों की भीड़ आसानी से देखी जा सकती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा मंदिर बताएंगे जहां लोग कभी नहीं जाना चाहते। दरअसल ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में लोग मरने के बाद सबसे पहले यही आते हैं। जहां उस आत्मा के पाप पुण्य का हिसाब किताब किया जाता है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के चम्बा के एक छोटे से कस्बे भरमोर में स्थित है। जो मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है। यही वजह है कि लोग इस मंदिर के पास जाने से भी डरते हैं। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो यमराज को समर्पित है। लोगों का कहना है कि इस मंदिर को यमराज के लिए ही बनाया गया है, इसलिए इसके अंदर उनके अलावा और कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है।

पहले ब्रह्मपुत्र के यमराज मंदिर से था विख्यात

कई सौ साल पहले जब चंबा राज्य उत्तराखंड और जम्मू के क्षेत्रों में फैला था। तब भरमौर को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता था। धर्मराज के मंदिर के साथ चौरासी परिसर को किसने और कब स्थापित किया इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। मगर इस मंदिर के टूटी सीढियों का जीर्णोद्धार चंबा रियासत के राजा मेरू वर्मन ने छठी शताब्दी में कराया था।

यहां हिसाब किताब के लिए चित्रगुप्त भी हैं

हिमाचल प्रदेश में चम्बा के कस्बे भरमोर में स्थित यमराज के इस मंदिर के अंदर घुसने में भूतों — पिशाचों को ही नहीं आम लोगों को भी डर लगता है। इस मंदिर में चित्रगुप्त के लिए भी एक कमरा बनाया गया है, जिसमें वो इंसानों के अच्छे-बुरे कामों का लेखा-जोखा एक किताब में रखते हैं। दरअसल, मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात, पृथ्वी पर उनके द्वारा किए गये कार्यों के आधार पर उनके लिए स्वर्ग या नर्क का निर्णय लेने का अधिकार चित्रगुप्त के ही पास है। यानी किस मनुष्य को स्वर्ग मिलेगा और कौन नर्क में जाएगा, इसका फैसला चित्रगुप्त ही करते हैं।

पाप पुण्य के हिसाब से मिलता है द्वार

गरुड़ पुराण में वर्णन है कि यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार होते हैं। उसी तरह इस मंदिर के अंदर चार छिपे हुए दरवाजे हैं जो कि सोने, चांदी, तांबे और लोहे के बने हुए हैं। माना जाता है कि जो लोग ज्यादा पाप करते हैं, उनकी आत्मा लोहे के गेट से अंदर जाती है और जिसने पुण्य किया हो, उसकी आत्मा सोने के गेट के अंदर जाती है।

‘यमराज की कचहरी’

माना जाता है कि इस मंदिर में व्यक्ति की मृत्यु के बाद यमराज के दूत उसे यहां सबसे पहले लेकर आते हैं। फिर चित्रगुप्त जीवात्मा को उनके कर्मो का पूरा ब्योरा सुनाते हैं। किस मनुष्य को स्वर्ग मिलेगा और कौन नर्क में जाएगा। इसका फैसला चित्रगुप्त ही करते हैं। फिर यमराज आत्मा के स्वर्ग या नरक जाने का फैसला करता है। कहते हैं यहां यमराज के कमरे को यमराज की कचहरी कहा जाता है।\

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