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‘प्राण जाये पर वचन ना जाए’ पर Kirodi Lal Meena का अमल, दिया इस्तीफ़ा

by PP Singh
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Kirodi Lal Meena

‘प्राण जाये पर वचन ना जाए’ पर Kirodi Lal Meena का अमल, दिया इस्तीफ़ा

‘प्राण जाए पर वचन ना जाए’ की तर्ज पर राजस्थान के कृषि मंत्री डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा ने गुरुवार को इस्तीफ़ा दे दिया। प्राइवेट चैनल के एक कार्यक्रम में मीणा ने इस बात को सार्वजनिक किया। वहीं इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि गुड़ामालानी से विधायक और राजस्थान सरकार में मंत्री केके विश्नोई को कृषि मंत्री का अतिरिक्त प्रभार मिल सकता है।

आपको बता दें कि मीणा ने बताया कि पिछले दो दिनों से वे दिल्ली में ही थे, जहाँ उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री ने वार्ता के लिए बुलाया था। हालाँकि महामंत्री से उनकी भेंट नहीं हो पाई। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि वे मुख्यमंत्री या संगठन से नाराज नहीं है।

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पहले ही सौंप दिया इस्तीफ़ा

सूत्रों की मानें तो मीणा मुख्यमंत्री से कुछ दिन पहले ही मिले थे और इसी मुलाकात के दौरान अपना इस्तीफ़ा भी सौंप दिया था। आपको बता दें कि विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था और एक रणनीति के तहत इस बात को उजागर नहीं किया गया। इस्तीफ़ा सौंपने के बाद अब हाईकमान लेवल पर निर्णय लिया जायेगा।

मीणा और दिलावर के बीच गहमा-गहमी

गौर करने वाली बात ये भी है कि कुछ दिनों पहले ही कृषि विभाग के इंजीनियरों के तबादले हुए थे। इस बात से किरोड़ीलाल और मदन दिलावर के बीच काफी गहमा-गहमी हो गई थी।

दिलवार पंचायतीराज मंत्री हैं। इनके विभाग आयुक्त ने आदेश जारी किया था और कृषि विभाग से हुए तबादलों को गलत बताया था। साथ ही जॉइनिंग पर भी रोक लगा दी थी, जिसके बाद विवाद बढ़ गया। इस विवाद के बाद फिर से आदेश निकाले गये। इस विषय को लेकर भी डॉक्टर मीणा नाराज थे।

रुझानों के बाद दिये इस्तीफ़े के संकेत

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के रुझान आते ही मीणा ने इस्तीफ़े के संकेत दिये थे, क्योंकि उस समय रुझानों में बीजेपी 11 सीटें हार रही थी। उनके सोशल मीडिया पोस्ट से इस बात का पता चला था, जिसमें उन्होंने लिखा था- “रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए।” इसका मतलब साफ था कि वे अपनी बात से नहीं मुकरेंगे और इस्तीफ़े की बात पर कायम रहेंगे।

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क्या होगा इस्तीफ़ा मंजूर होने पर

डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा का इस्तीफ़ा मंजूर होने पर सत्ताधारी बीजेपी को हानि हो सकती है। राजनीति के जानकारों की मानें तो किरोड़ी का इतिहास ही ऐसा है कि पार्टी को दिक्कत हो सकती है। एक वजह ये भी है कि वे बड़े जोर-शोर से मुद्दे उठाते रहते हैं। इसके अलावा आने वाले विधानसभा उपचुनावों और निकाय-पंचायत चुनावों में भी पार्टी के लिए मुश्किल हालात पैदा हो सकते हैं।

बीजेपी ने किरोड़ी को दी बड़ी जिम्मेदारी

जैसा कि आप जानते हैं किरोड़ीलाल मीणा को बीजेपी ने आने वाले विधानसभा उपचुनावों में पांच सीटों की जिम्मेदारी दी है। झुंझुनूं, खींवसर, दौसा, देवली-उनियारा और चौरासी सीटों पर चुनाव होने हैं, जिनके लिए पार्टी ने डॉ किरोड़ीलाल मीणा को दौसा सीट का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। उनके इस्तीफ़े के बाद यहाँ भाजपा को चुनौती झेलनी पड़ सकती है। सनद रहे दौसा विधानसभा सीट से मुरारीलाल मीणा के सांसद चुने जाने के बाद से ये सीट खाली है।

मीणा की नाराजगी काफी पुरानी

राजनीतिक गलियारों में तो ये भी चर्चा है कि 2023 में बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद मीणा को उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन मिला उन्हें कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय। फिर इस विभाग के भी टुकड़े कर दिये गये। राजनीतिक एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसके बाद से ही वे सहज महसूस नहीं कर रहे थे।

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