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Dharma Aastha: यहाँ गिरी सती की जीभ तो निकली 9 ज्वाला, रहस्य जानने में अब वैज्ञानिक भी होते हैं फेल..
हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनके चमत्कार ने वैज्ञानिकों को भी नतमस्तक होने पर मजबूर कर दिया है। ऐसा ही एक मंदिर है हिमाचल प्रदेश की कालीधर पहाड़ी पर। जहाँ माता की 9 ज्योति जल रहीं हैं। ज्वाला देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है।ज्वालामुखी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग तो इसे जाता वाली मां का मंदिर के रूप में भी जानते हैं।
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यहाँ गिरी थी सती माता की जीभ
कांगड़ा जिले में कालीधर पहाड़ी पर मौजूद है। 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ को ज्वालामुखी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग तो इसे जाता वाली मां का मंदिर के रूप में भी जानते हैं।हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधर पहाड़ी पर मौजूद ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवों को जाता है। माना जाता है कि इसी जगह पर माता सती की जीभ गिरी थी।
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9 ज्वाला पर 1835 में बनाया मंदिर
यहाँ पृथ्वी से नौ अलग-अलग जगहों से ज्वाला निकल रही है। जिसके ऊपर मंदिर बना दिया गया है। इन नौ ज्योतियों को अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी, महाकाली के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर निर्माण सबसे पहले राजा भूमि चंद द्वारा करवाया गया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का निर्माण पूरा किया था।
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अकबर हुआ नतमस्तक और वैज्ञानिक हुए फेल
इस मंदिर की चर्चा सुनने के बाद अकबर भी इसे मिटाने यानी इन 9 ज्वालाओं को बुझाने आया था, लेकिन उसके सैनिक ऐसा करने में पूरी तरह नाकामयाब रहें। जब अकबर पूरी हिम्मत लगाने के बाद भी ज्वालाओं का कुछ नहीं कर पाया तो वो खुद यहाँ नतमस्तक हो गया। इसके बाद उसने यहाँ 9 ज्वालाओं पर सोने का क्षत्र चढ़ाने के लिए भेजा पर माता ने यहाँ भी चमत्कार दिखाया और सोने के क्षत्र को किसी और धातु में बदल दिया। आज तक किसी को समझ नहीं आया की सोने का क्षत्र कौन से धातु का बन गया है।
यही नहीं हिमाचल के इस जवालामुखी माता मंदिर में सदियों से जल रहीं 9 प्राकृतिक ज्वालाओं का रहस्य जानने के लिए पिछले कई सालों से वैज्ञानिक रिसर्च करने में जुटे हुए हैं, लेकिन 9 किमी खुदाई करने के बाद भी उन्हें वो जगह नहीं मिल पाई, जहां प्राकृतिक गैस निकलती हो।
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